‘शुगर स्मार्ट शेफ जूनियर' - इंदौर में बच्चों के लिए हेल्दी कुकिंग के ज़रिए सेहतमंद जीवन की पहल*

*टाइप-1 डायबिटीज के साथ जी रहे बच्चों के लिए खास कुकिंग प्रतियोगिता
• ‘माई ड्रीम लंच बॉक्स’ के ज़रिए दिखाएंगे सेहत और स्वाद का मेल
इंदौर, । “छोटे हाथ, बड़ी सोच और सेहतमंद स्वाद” – इंदौर अब बच्चों को कुकिंग के ज़रिए हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर ले जाने की तैयारी कर रहा है। शहर में पहली बार, 27 जुलाई 2025 को बास्केटबाल कॉम्प्लेक्स में एक खास कैंप का आयोजन होने जा रहा है, जहां बच्चे शेफ बनेंगे, सेहत और स्वाद का आदर्श मेल प्रस्तुत करेंगे। इस अनोखी प्रतियोगिता का नाम है ‘शुगर स्मार्ट शेफ जूनियर’, जो टाइप-1 डायबिटीज से बहादुरी से लड़ रहे सुपरस्टार बच्चों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई है।
इस पहल के आयोजक सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का हैं, जो बच्चों और उनके माता-पिता को डायबिटीज मैनेजमेंट के साथ-साथ हेल्दी ईटिंग हैबिट्स के प्रति भी जागरूक करना चाहते हैं। डॉ. संदीप जुल्का देश के उन चुनिंदा हार्मोन रोग विशेषज्ञों में शामिल हैं जो ओबेसिटी टास्क फोर्स का हिस्सा हैं। यह टास्क फोर्स एंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया और ओबेसिटी सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयास से गठित की गई है, जिसका उद्देश्य भारत में मोटापा प्रबंधन के लिए प्रभावी गाइडलाइन्स (दिशानिर्देश) विकसित करना है।
‘शुगर स्मार्ट शेफ जूनियर’ जैसे इवेंट की जरूरत के बारे में डॉ. संदीप जुल्का ने बताया - “बच्चों में यदि शुरू से ही हेल्दी खाने की समझ और आदतें विकसित की जाएँ, तो न सिर्फ बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि उन्हें एक बेहतर और संतुलित जीवन जीने की दिशा दी जा सकती है। टाइप-1 डायबिटीज के साथ जी रहे ये बच्चे हर दिन अपने साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मकता से हमें जीने का नया तरीका सिखा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस कैम्पेन के माध्यम से हम वह जागरूकता लाने में सफल होंगे।
सीबीएसई ने हाल ही में सभी स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ स्थापित करने का निर्देश दिया है, ताकि बच्चों में अत्यधिक चीनी के सेवन से उत्पन्न हो रहे मोटापे की समस्या को रोका जा सके। इस दिशा में डॉ जुल्का ने बीते डेढ़ महीने में तीन हज़ार से अधिक स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित किया है। इस प्रशिक्षण में मोटापा और उसकी रोकथाम को लेकर विस्तार से व्याख्यान दिया गया, साथ ही शिक्षकों को भी स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जानकारी दी गई है।
डॉ. जुल्का ने बताया, - "बच्चों के दैनिक कैलोरी सेवन में शुगर की मात्रा 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। भारत में 5 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों द्वारा 13.1 प्रतिशत तक अतिरिक्त चीनी का सेवन किया जा रहा है, जबकि 11 से 18 वर्ष की आयु वर्ग में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत से अधिक है। यह स्थिति निश्चित रूप से बच्चों में मोटापे की वृद्धि का मुख्य कारण बन रही है।"
‘‘शुगर स्मार्ट शेफ जूनियर’ उन नन्हें योद्धाओं का मंच है जो यह साबित कर रहे हैं कि डायबिटीज उन्हें परिभाषित नहीं करती बल्कि उनका जज़्बा, जागरूकता और जिंदादिली ही उनकी असली पहचान है। ये प्रयास बच्चों को सिखाते हैं कि सेहत और स्वाद एक साथ चल सकते हैं, और यही बदलाव हमें एक सेहतमंद समाज की ओर ले जाता है।
“‘शुगर स्मार्ट शेफ जूनियर’ में छोटे शेफ्स घर पर बनाई गई हेल्दी रेसिपी के वीडियो और रेसिपी नोट्स के साथ पहले राउंड में हिस्सा लेंगे, वहीं फिनाले में लाइव ‘माई ड्रीम लंच बॉक्स’ बनाकर जजों को दिखाएंगे कि डायबिटीज फ्रेंडली डिश भी कितनी स्वादिष्ट हो सकती है।
विजेता बच्चों को आकर्षक पुरस्कार दिए जाएंगे ताकि उनका उत्साह और आत्मविश्वास और बढ़े। इस तरह की गतिविधियां बच्चों में क्रिएटिविटी बढ़ाने के साथ-साथ पैरेंट्स को भी जागरूक करेंगी कि बच्चों के खाने में शुगर और फैट कंट्रोल में कैसे रखा जाए।
डॉ. संदीप जुल्का ने आगे कहा – डायबिटिक पेशेंटस के लिए संतुलित आहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। उस आहार को कैसे तैयार किया जाए और कैसे सेवन किया जाए, यह समझ बच्चों को बचपन से ही दी जानी चाहिए, ताकि मोटापा और अन्य लाइफस्टाइल डिज़ीज़ का खतरा कम हो सके।”