ईरान की नतांज अंडरग्राउंड लैब पर इजराइल का संभावित हमला – क्यों बनी यह साइट इजराइली निशाना?

ईरान की नतांज अंडरग्राउंड लैब पर इजराइल का संभावित हमला – क्यों बनी यह साइट इजराइली निशाना?

ईरान की नतांज अंडरग्राउंड लैब पर इजराइल का संभावित हमला – क्यों बनी यह साइट इजराइली निशाना?

क्या है नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी?

  • नतांज ईरान का एक अति-संवेदनशील और हाई-सिक्योरिटी न्यूक्लियर सेंटर है।

  • यह भूमिगत (under mountain) बनाया गया है ताकि इसे सैटेलाइट या हवाई हमलों से बचाया जा सके।

  • यहां सेंटरफ्यूज मशीनों की मदद से यूरोनियम का उच्च-स्तर पर संवर्धन (enrichment) किया जाता है।

ईरान ने कौन-सी टेक्नोलॉजी हासिल की जिससे इजराइल चिंतित है?

  1. परमाणु संवर्धन (Uranium Enrichment):

    • नतांज सुविधा में ईरान यूरेनियम को 60% तक संवर्धित कर रहा है, जो परमाणु बनाने के लिए आवश्यक 90% से काफी करीब है।

    • हाल ही में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया है, जिससे इजराइल और पश्चिमी देशों को चिंता हुई।

    • हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने नतांज में उन्नत सेंट्रीफ्यूज (जैसे IR-2m, IR-4, और IR-6) तैनात किए हैं, जो पुराने IR-1 मॉडल की तुलना में अधिक तेजी और दक्षता से यूरेनियम को संवर्धित कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान के पास 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम है, जो परमाणु हथियार के लिए आवश्यक 90% शुद्धता के करीब है। इतने उच्च स्तर के संवर्धन से नौ परमाणु बम बनाए जा सकते हैं, जो इजराइल और पश्चिमी देशों के लिए खतरे की घंटी है।

  2. अंडरग्राउंड सुविधाएँ (Underground Tunnels & Bunkers):

    • ईरान ने नतांज जैसी संवेदनशील सुविधाओं को पहाड़ों के नीचे भूमिगत बनाकर हवाई हमलों से बचाने की कोशिश की है।

    • इन सुविधाओं को नष्ट करने के लिए इजराइल को विशेष "बंकर-बस्टर" बमों (जैसे GBU-57 MOP) की जरूरत पड़ती है।

  3. उन्नत सेंट्रीफ्यूज (Advanced IR Centrifuges):

    • ईरान IR-6 और IR-9 जैसे उन्नत सेंट्रीफ्यूज का इस्तेमाल कर रहा है, जो यूरेनियम संवर्धन की गति को बढ़ाते हैं।

    • इससे ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने की क्षमता तेजी से बढ़ सकती है।

  4. मिसाइल और ड्रोन टेक्नोलॉजी:

    • ईरान ने हाल के वर्षों में लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें और क्रूज मिसाइलें विकसित की हैं, जो इजराइल तक पहुँच सकती हैं। जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम हो सकती हैं। इन मिसाइलों का रणनीतिक महत्व इजराइल के लिए खतरा बढ़ाता है, क्योंकि ये तेल अवीव जैसे शहरों को निशाना बना सकती हैं।

    • 13 अप्रैल को ईरान ने इजराइल पर 300+ मिसाइलें और ड्रोन दागे थे, जिससे इजराइल को गंभीर खतरा महसूस हुआ।

ईरान ने कौन सी तकनीक हासिल की?

  1. उन्नत सेंटरफ्यूज तकनीक (Advanced IR-6 & IR-9 Centrifuges):
    ईरान ने पुराने मॉडलों के मुकाबले कहीं तेज रफ्तार से संवर्धन करने वाली मशीनें स्थापित की हैं।

  2. 60% तक यूरेनियम संवर्धन:
    हथियार-स्तरीय यूरेनियम 90% पर होता है, लेकिन 60% पर पहुंचना भी अंतरराष्ट्रीय परमाणु नियमों के खिलाफ है और हथियार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है।

  3. गहरी अंडरग्राउंड सुरंगों में शिफ्टिंग:
    हाल के वर्षों में ईरान ने नतांज के संवेदनशील हिस्सों को और भी गहराई में भूमिगत कर दिया है, जिससे किसी हवाई हमले या मिसाइल से उसे नष्ट करना लगभग असंभव हो गया है।

इजराइल का डर क्या है? 

  • इजराइल का मानना है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब है।

  • एक बार यदि यह लैब हथियार-स्तरीय यूरेनियम स्टॉक कर लेती है, तो ईरान के पास कुछ ही महीनों में परमाणु बम बन सकता है।

  • यह इजराइल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।

  • अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ परमाणु समझौता (JCPOA) टूटने के बाद ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम तेज कर दिया है।

इजराइल ने इतने बड़े हमले क्यों किए?

इजराइल का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व के लिए सीधा खतरा है। निम्नलिखित कारणों से इजराइल ने नतांज को निशाना बनाया:

  1. परमाणु हथियार रोकथाम: इजराइल और पश्चिमी देशों का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। नतांज पर हमला करके इजराइल ने ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमता को कमजोर करने की कोशिश की, ताकि वह परमाणु बम न बना सके।
  2. रणनीतिक प्रहार: इजराइल ने ऑपरेशन "राइजिंग लॉयन" के तहत 200 से अधिक लड़ाकू विमानों का उपयोग करके नतांज सहित कई सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस ऑपरेशन का लक्ष्य ईरान की सैन्य और परमाणु क्षमताओं को कमजोर करना था, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल साइट्स और सैन्य कमांडर भी शामिल थे।
  3. ईरान की आक्रामकता का जवाब: हाल के वर्षों में ईरान ने इजराइल पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, खासकर 1 अक्टूबर 2024 और अप्रैल 2025 में। इजराइल ने इन हमलों का जवाब देने और ईरान को क्षेत्रीय स्तर पर कमजोर करने के लिए यह बड़ा हमला किया।

⚔️ 200 लड़ाकू विमान क्यों?

  • इतनी गहराई में स्थित फैसिलिटी को नष्ट करना आसान नहीं है।

  • इसके लिए मल्टी लेयर अटैक की जरूरत है:

    • बंकर बस्टर बॉम्ब्स,

    • इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग,

    • सैटेलाइट निगरानी,

    • और सपोर्ट मिशन — इन सबके लिए 200 विमान तैनात करने की योजना बनाई गई।

हमले का प्रभाव

  • नुकसान: इजराइल ने दावा किया कि नतांज की सुविधा को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया, जिसमें कई परमाणु वैज्ञानिक और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी सहित अन्य सैन्य अधिकारी मारे गए। हालांकि, ईरान ने दावा किया कि नुकसान "सीमित" था और कोई बड़ा रेडिएशन रिसाव नहीं हुआ।
  • क्षेत्रीय तनाव: इस हमले ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई के तहत 100 से अधिक ड्रोन और संभावित मिसाइल हमले शुरू किए, जिससे पूर्ण युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अमेरिका ने इजराइल के हमले को आत्मरक्षा का अधिकार बताया, जबकि ईरान ने इसे अमेरिका की मिलीभगत करार दिया। IAEA ने पुष्टि की कि नतांज पर हमला हुआ, लेकिन रेडिएशन रिसाव की कोई जानकारी नहीं है।

इजराइल का नतांज पर हमला ईरान के परमाणु हथियार बनाने की संभावित क्षमता को रोकने और उसकी सैन्य शक्ति को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा था। ईरान की उन्नत सेंट्रीफ्यूज टेक्नोलॉजी और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम ने इजराइल को इस बड़े पैमाने पर हमले के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इस हमले से क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है, और ईरान की जवाबी कार्रवाई के कारण मध्य पूर्व में स्थिति और जटिल हो सकती है।