पाकिस्तान की चिंताएँ – “हम बर्बाद हो जाएंगे
पाकिस्तान की चिंताएँ – “हम बर्बाद हो जाएंगे

???? पाकिस्तान की चिंताएँ – “हम बर्बाद हो जाएंगे”
देश के जल मंत्रालय, सचिव सईद अली मुर्तजा ने मई के शुरू में पहला पत्र भेजा, उसके बाद तीन अतिरिक्त पत्रों के ज़रिए भारत से Treaty बहाल करने की गुहार लगाई गई
नज़रिए से: उन्होंने कहा कि इस संधि को ठंडे बस्ते में डालना उनके लिए “ब्लड और वाटर” का एक साथ बहना है, जिससे फसलें बर्बाद, पीने और सिंचाई के पानी की कमी, और जन-आबादी का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है
कमज़ोर वित्तीय स्थिति, कृषि संकट और संभावित “जल युद्ध” की चेतावनी जारी की जा रही है
????भारत की कूटनीतिक दायित्व और जवाब
अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को स्पष्ट किया कि आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान की भूमिका इस निर्णय की मुख्य वजह है
विदेश मंत्री जयशंकर और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि “खून और पानी साथ नहीं बह सकते” और सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद नहीं रोकता
भारत ने संकेत दिया है कि संधि किसी भी रूप में भारत‑हित में री‑नेगोशिएट की जा सकती है, लेकिन फिलहाल बहाली की कोई संभावना नहीं है
⚠️ अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
पाकिस्तान का दावा है कि सिंधु जल संधि को रोकना “युद्ध के समान” है और इस कदम से क्षेत्रीय शांति को संकट में डाला जा रहा है
फिर भी, भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है और इसे आतंकवाद के खिलाफ कूटनीतिक दबाव का हिस्सा बताता है।
विदेश मंत्रालय को भेजे गए पत्र
सरकारी सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय की ओर से अब तक चार पत्र भेजे गए हैं और इन सभी में समझौते को बहाल करने का आग्रह किया गया। चौथा पत्र इसी सप्ताह आया है। लगभग सभी में पाकिस्तान ने इससे अपने देश में समस्याएं बढ़ने का रोना रोया है। सूत्रों का कहना है कि जल शक्ति मंत्रालय ने ये पत्र विदेश मंत्रालय के पास भेज दिए हैं।
पाकिस्तान की चिंता क्यों?
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पाकिस्तान की कृषि और पेयजल आपूर्ति सिंधु नदी पर निर्भर है।
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अगर भारत पानी रोकने या मोड़ने की कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
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पाकिस्तानी मीडिया और विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत पानी के बहाव को नियंत्रित करता है, तो पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है।
भारत का जवाब:
भारत ने पाकिस्तान के पत्रों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया है कि वह संधि का उल्लंघन नहीं कर रहा है। भारत के पास पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) के पानी का 20% उपयोग करने का अधिकार है, जिसका वह पूरा फायदा उठाना चाहता है।
क्या होगा आगे?
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पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग कर सकता है।
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भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाने को प्राथमिकता देगा।
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अगर पाकिस्तान भारत के प्रस्तावों को नहीं मानता है, तो यह विवाद विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र तक जा सकता है।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान की घबराहट इस बात का संकेत है कि भारत ने अपनी जल नीति को मजबूती से लागू करना शुरू कर दिया है। सिंधु जल संधि पर यह तनाव दोनों देशों के बीच एक नए राजनयिक संघर्ष की शुरुआत हो सकता है। अब देखना यह है कि क्या पाकिस्तान इस मुद्दे को बढ़ाएगा या फिर भारत के साथ बातचीत का रास्ता चुनेगा।