शुभांशु पर ₹550 करोड़ क्यों खर्च कर रहा भारत?

शुभांशु पर ₹550 करोड़ क्यों खर्च कर रहा भारत?

शुभांशु पर ₹550 करोड़ क्यों खर्च कर रहा भारत?

भारत ने एक्सिओम-4 मिशन के लिए लगभग ₹510-550 करोड़ खर्च किए हैं, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) यात्रा, उनकी ट्रेनिंग, और मिशन से जुड़े अन्य खर्च शामिल हैं। यह राशि निम्नलिखित कारणों से खर्च की जा रही है:

  • सीट और लॉन्च खर्च: भारत ने अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस से शुभांशु के लिए ISS में एक सीट खरीदी, जिसकी लागत करीब 70 मिलियन डॉलर (लगभग ₹599 करोड़) बताई गई है। इसमें स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान का उपयोग शामिल है।
  • ट्रेनिंग और तैयारी: शुभांशु और उनके बैकअप, ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, को स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस ने एक साल की विशेष ट्रेनिंग दी, जिसमें माइक्रोग्रैविटी अनुकूलन, आपातकालीन प्रोटोकॉल, और वैज्ञानिक प्रयोगों की तैयारी शामिल थी।
  • वैज्ञानिक प्रयोग: मिशन के दौरान शुभांशु 7 भारतीय (ISRO द्वारा प्रस्तावित) और 5 नासा के प्रयोग करेंगे, जो मानव स्वास्थ्य, सामग्री विज्ञान, और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नए अनुसंधान के द्वार खोलेंगे।
  • गगनयान मिशन की तैयारी: यह मिशन भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान (2027 में प्रस्तावित) के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा, जैसे अंतरिक्ष उड़ान संचालन, प्रक्षेपण प्रोटोकॉल, और माइक्रोग्रैविटी में काम करने का प्रशिक्षण।

चौथी बार कैसे टला मिशन एक्सिओम-4?

एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग चार बार स्थगित हो चुकी है। निम्नलिखित कारणों से देरी हुई:

  1. पहली देरी (29 मई 2025): तकनीकी खामियों के कारण मिशन को स्थगित किया गया।
  2. दूसरी देरी (8 जून 2025 से 10 जून): खराब मौसम और अंतरिक्ष यान की अंतिम तैयारियों के कारण लॉन्च टाला गया।
  3. तीसरी देरी (10 जून से 11 जून): मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों, विशेष रूप से तेज हवाओं, के कारण लॉन्च को एक दिन के लिए टाल दिया गया।
  4. चौथी देरी (11 जून से अनिश्चित): 11 जून को फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) रिसाव का पता चला, जिसके बाद स्पेसएक्स ने लॉन्च स्थगित कर दिया। नई तारीख की घोषणा मरम्मत और ISS पर अन्य गतिविधियों की उपलब्धता पर निर्भर है। नासा के अनुसार, लॉन्च अब 30 जून या मध्य जुलाई 2025 में हो सकता है, क्योंकि ISS पर रूस के प्रोग्रेस कार्गो व्हीकल और अन्य अंतरिक्ष यानों की गतिविधियां शेड्यूल को प्रभावित कर रही हैं।

भारत के लिए क्यों जरूरी है मिशन?

एक्सिओम-4 मिशन भारत के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. ऐतिहासिक उपलब्धि: शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय होंगे। यह भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करेगा।
  2. वैज्ञानिक अनुसंधान: ISRO के 7 माइक्रोग्रैविटी प्रयोग मानव स्वास्थ्य, नई दवाओं, और सामग्री विज्ञान में नवाचार लाएंगे। ये प्रयोग गगनयान और भविष्य के मिशनों के लिए डेटा प्रदान करेंगे।
  3. गगनयान के लिए अनुभव: शुभांशु की ISS यात्रा से प्राप्त अनुभव गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिसमें भारत स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा।
  4. वैश्विक सहयोग: यह मिशन नासा, एक्सिओम स्पेस, और स्पेसएक्स के साथ भारत के सहयोग को मजबूत करता है, जिससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष परियोजनाओं में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
  5. प्रेरणा और शिक्षा: शुभांशु की यात्रा, खासकर उनकी आउटरीच गतिविधियां (जैसे लखनऊ के स्कूल के छात्रों से बातचीत), युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।
  6. राष्ट्रीय गौरव: यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के लिए 40 वर्षों में पहली सरकारी प्रायोजित मानव अंतरिक्ष उड़ान है, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करता है।

एक्सिओम-4 मिशन भारत के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी, और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। ₹550 करोड़ का खर्च न केवल शुभांशु की यात्रा, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का निवेश है। मिशन की देरी तकनीकी और मौसमी चुनौतियों के कारण हुई, लेकिन यह भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत को कम नहीं करता। नई लॉन्च तारीख की प्रतीक्षा है, और शुभांशु की सफलता भारत के लिए गर्व का क्षण होगी।