परेशान करने वाली गवाही: "मेरे सामने 35 कश्मीरी सिखों को आतंकियों ने गोली मारी"
परेशान करने वाली गवाही: "मेरे सामने 35 कश्मीरी सिखों को आतंकियों ने गोली मारी"

"मुझे मरा समझकर छोड़ दिया; ना हमारे कातिल पकड़े गए, ना पहलगाम के"
21 मार्च 2000 — जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के छोटे से गांव छिटीसिंहपुरा में हुआ वह नरसंहार आज भी ज़िंदा बचे गवाहों की रूह तक को कंपा देता है।
एक चश्मदीद बचे हुए व्यक्ति ने बताया:
"मेरे सामने 35 कश्मीरी सिखों को आतंकियों ने कतार में खड़ा कर गोली मार दी। मुझे भी गोलियां मारी गईं, पर शायद किस्मत से बच गया...
आतंकियों ने मुझे मरा समझकर छोड़ दिया।
लेकिन... ना हमारे कातिल आज तक पकड़े गए, ना ही पहलगाम के।"
आज 25 साल बाद भी पीड़ित समुदाय जवाब मांग रहा है —
"हमें इंसाफ कब मिलेगा?"
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए थे:
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हमलावर कौन थे?
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सुरक्षा बलों की नाकामी क्यों हुई?
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क्या राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने न्याय को रोका?
यह घटना — 20 मार्च 2000 को चित्तिसिंहपुरा (अनंतनाग) में 35 कश्मीरी सिखों की हत्या — आज भी एक बड़ी उलझन बनी हुई है, जिसके बारे में भारत सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, विश्लेषक और सिख समुदाय अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
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आपातकालीन आरोप: तत्काल सरकार ने आरोप लगाया कि यह कांड पाकिस्तान-आधारित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) या हिज़बुल मुजाहिदीन द्वारा अंजाम दिया गया था
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Pathribal एनकाउंटर: पांच आतंकियों की कथित एनकाउंटर में हत्या का दावा किया गया, लेकिन बाद में CBI ने इसे "फर्जी" बताया—उनकी पहचान हिरासत में लिए गए स्थानीय युवकों के रूप में की और आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गयीजांच जारी लेकिन परिणामबोधी निष्कर्ष से कोसों दूर: 2012 में सुप्रीम कोर्ट को CBI ने कहा कि यह "ठंडे खून से की गई हत्या" थी, लेकिन 2014 में सेना द्वारा मामला बंद कर दिया गया ।
जम्मू–कश्मीर सरकार व स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
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पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में यह स्वीकारा कि उन्होंने इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की थी, लेकिन उन्हें “कुछ ताकतों” द्वारा रोक दिया गया ।
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राज्य सरकार ने प्रारंभ में Justice Pandian Commission बनाई, लेकिन वह केवल ब्रकपोरा घटना तक सीमित रही और चित्तिसिंहपुरा कांड की गहन जांच नहीं कर सकी
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सिख समुदाय व विश्लेषकों की प्रतिक्रिया
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APSCC (All Parties Sikh Coordination Committee), प्रमुख नेता Jagmohan Singh Raina के नेतृत्व में उच्चस्तरीय, ताजा पूछताछ की मांग की जा रही है:
“हमने अधिक से अधिक पत्र भेजे—but अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई…” ।
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विश्लेषक और स्वतंत्र रिपोर्टों ने उठाए कई प्रश्न:
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क्या सच में LeT ने यह संगीन वारदात की?
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या क्या पुलिस/सेना की संदिग्ध भूमिका का भी कोई पक्षकार है?
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Frontline जैसी रिपोर्टों में कहा गया कि एक निष्पक्ष न्यायिक जांच की बहुत आवश्यकता थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई ।
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कुछ विश्लेषकों और रेडिट टिप्पणियों में यह भी अनुमान लगाया गया कि दोनों—आतंकवादी संगठन और भारतीय एजेंसियाँ—इस घटना को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकते थे ।
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निष्कर्षात्मक स्थिति
पहलू स्थिति दोषियों की गिरफ्तारी कोई नियंत्रण योग्य गिरफ्तारी अभी तक नहीं CBI / न्यायिक प्रगति Pathribal फर्जी एनकाउंटर की पुष्टि हुई, लेकिन चित्तिसिंहपुरा कांड की गुत्थी अनसुलझी लोकल समुदाय की नाराज़गी अभी भी स्थिर — न्याय, मान्यता और मुआवजे की मांग जारी है सरकारी संकल्प दिखावटी कार्रवाई की संभावना, लेकिन वास्तविक निष्पक्षता व पारदर्शिता में कमी