कांग्रेस भाजपा के दोस्त की खोज में..... , और दगाबाज नेताओं से बनाएंगी दुरी

कांग्रेस  भाजपा के दोस्त  की खोज में..... ,  और दगाबाज नेताओं से बनाएंगी दुरी

 
कांग्रेस पार्टी वर्तमान में अपने संगठनात्मक ढांचे और रणनीतियों में महत्वपूर्ण बदलावों की प्रक्रिया से गुजर रही है। पार्टी का उद्देश्य है भाजपा के साथ सहानुभूति रखने वाले नेताओं और 'दगाबाज' (विश्वासघाती) नेताओं से दूरी बनाना, साथ ही पार्टी के भीतर अनुशासन और एकजुटता को सुदृढ़ करना।

???? भाजपा से सहानुभूति रखने वाले नेताओं पर सख्ती
हाल ही में, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद द्वारा अनुच्छेद 370 के हटाने की सराहना करने पर भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस उन्हें भी शशि थरूर की तरह आलोचना का सामना कराएगी, जिन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' का समर्थन किया था। इससे पार्टी के भीतर विचारधारात्मक मतभेद उजागर हुए हैं।

इसके अतिरिक्त, कांग्रेस नेता उदित राज ने शशि थरूर पर भाजपा के 'सुपर प्रवक्ता' होने का आरोप लगाया, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष और मतभेद की स्थिति स्पष्ट हुई। 


???? गठबंधन रणनीति में पुनर्विचार
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन को नुकसानदायक बताया, यह कहते हुए कि "जहां बीजेपी अपने सहयोगी दलों को खत्म कर देती है, वहीं कांग्रेस के सहयोगी दल खुद कांग्रेस को ही खा जाते हैं।" उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस को स्वतंत्र रणनीति अपनाकर संगठन को मजबूत करना चाहिए। 


???? भाजपा से लौटे नेताओं का स्वागत
बिहार में पूर्व भाजपा विधायक अनिल सिंह और जेडीयू नेता शंभु पटेल ने कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी को मजबूती प्रदान की है। इसी तरह, महाराष्ट्र में गोपलदास अग्रवाल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में वापसी की, जिससे पार्टी को विदर्भ क्षेत्र में लाभ हुआ। 

⚖️ निष्कर्ष
कांग्रेस पार्टी वर्तमान में आत्ममंथन की प्रक्रिया में है, जहां वह भाजपा से सहानुभूति रखने वाले और अनुशासनहीन नेताओं से दूरी बनाकर संगठनात्मक एकता और विचारधारात्मक स्पष्टता को प्राथमिकता दे रही है। साथ ही, पार्टी उन नेताओं का स्वागत कर रही है जो भाजपा से लौटकर कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास जताते हैं। यह रणनीति आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने में सहायक हो सकती है।