भारत अचानक अपने परमाणु बम क्यों बढ़ाने लगा? | विस्तार से खबर और विश्लेषण

भारत अचानक अपने परमाणु बम क्यों बढ़ाने लगा? | विस्तार से खबर और विश्लेषण

भारत अचानक अपने परमाणु बम क्यों बढ़ाने लगा? | विस्तार से खबर और विश्लेषण

मुख्य खबर:
हाल के दिनों में सामने आए अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषणों और खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारत ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या और रणनीति दोनों में तेजी से विस्तार करना शुरू किया है। स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास अब लगभग 172 परमाणु वारहेड हो चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 164 थी।


भारत परमाणु हथियार क्यों बढ़ा रहा है? | कारणों का विश्लेषण

1. चीन और पाकिस्तान का दोहरा मोर्चा खतरा

भारत दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों—चीन और पाकिस्तान—से घिरा हुआ है।

  • चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में तेजी से इजाफा किया है, और वह अब हाइपरसोनिक मिसाइलें और AI आधारित वॉरफेयर टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहा है।

  • पाकिस्तान भी भारत के विरुद्ध ‘टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स’ की नीति पर चल रहा है और सीमाओं पर लगातार तनाव बनाए हुए है।

2. बदलती वैश्विक राजनीति और अमेरिका-चीन टकराव

  • अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव ने एशिया को संवेदनशील युद्धक्षेत्र बना दिया है। ऐसे में भारत स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी बनाए रखने के लिए अपने न्यूक्लियर डिटेरेंस को मजबूत कर रहा है।

3. नवीन तकनीक और ट्रायड सिस्टम पर फोकस

  • भारत अब न्यूक्लियर ट्रायड (थल, जल और वायु से परमाणु हमला करने की क्षमता) को पूर्ण रूप देने की दिशा में काम कर रहा है।
    इसमें पनडुब्बी आधारित परमाणु मिसाइलें (SSBNs), लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें और स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स शामिल हैं।

4. 'नो फर्स्ट यूज़' नीति में बदलाव की अटकलें

  • भारत अब तक "पहले इस्तेमाल नहीं" (No First Use) नीति का पालन करता आया है। लेकिन हाल के बयानों और रक्षा नीति बदलावों से यह संकेत मिलते हैं कि इस नीति की समीक्षा हो सकती है, जिससे विरोधियों को अधिक सख्त चेतावनी दी जा सके।


विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का यह कदम रक्षात्मक और निवारक रणनीति का हिस्सा है।

"भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन वह किसी भी प्रकार के परमाणु या पारंपरिक खतरे के खिलाफ अब पहले से अधिक तैयार और सक्षम बनना चाहता है।" – डॉ. ब्रह्मा चेलानी, रक्षा विश्लेषक


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं:

  • चीन और पाकिस्तान ने इस पर चिंता जताई है।

  • अमेरिका और रूस जैसे देशों ने भारत को 'जिम्मेदार परमाणु शक्ति' कहा है, लेकिन क्षेत्र में असंतुलन को लेकर चिंता भी जताई है।


भारत का परमाणु शस्त्रागार बढ़ाना कोई आक्रामक संकेत नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संतुलन और आत्म-रक्षा की नीति का हिस्सा है। बदलते वैश्विक समीकरण और क्षेत्रीय खतरे भारत को मजबूर कर रहे हैं कि वह अपनी सुरक्षा नीति और क्षमता को नए युग के अनुसार ढाल सके।