मेरिल ने लॉन्च किया मायक्लिप, गंभीर मिट्रल रीगर्जिटेशन के इलाज के लिए भारत का पहला ट्रांसकैथेटर-ऐज-टू-ऐज रिपेयर (टीईईआर) सिस्टम

मेरिल ने लॉन्च किया मायक्लिप, गंभीर मिट्रल रीगर्जिटेशन के इलाज के लिए भारत का पहला ट्रांसकैथेटर-ऐज-टू-ऐज रिपेयर (टीईईआर) सिस्टम

*मेरिल ने लॉन्च किया मायक्लिप, गंभीर मिट्रल रीगर्जिटेशन के इलाज के लिए भारत का पहला ट्रांसकैथेटर-ऐज-टू-ऐज रिपेयर (टीईईआर) सिस्टम*

गुजरात। एक अग्रणी ग्लोबल मेड-टेक कंपनी मेरिल लाईफ साइंसेज़ ने भारत के पहले ट्रांसकैथेटर ऐज-टू-ऐज रिपेयर (TEER) सिस्टम मायक्लिप के लॉन्च के साथ उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।  गुजरात के वापी स्थित मेरिल एकेडमी में आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में 150 से अधिक भारतीय इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट्स के साथ कार्डियल इमेजिंग विशेषज्ञ और अंतर्राष्ट्रीय दिग्गज इकट्ठा हुए। इनमें प्रोफेसर ओटावियो अल्फिएरी (मिट्रल वॉल्व रिपेयर के जनक), प्रोफेसर फ्रांसेंस्को मेसानो और प्रोफेसर एग्रीकोला शामिल थे। 

मायवॉल टीएचवी की सफलता के बाद मेरिल दुनिया का अग्रणी (TAVI) ग्रुप तथा (TEER) सिस्टम पेश करने वाली देश की पहली कंपनी है जिसने भारत को दुनिया के मानचित्र पर ट्रांसकैथेटर हार्ट वॉल्व थेरेपी में इनोवेटर के रूप में मजबूती से स्थापित किया है (रिप्लेसमेन्ट एवं रिपेयर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म्स के साथ)। मायक्लिप की पेशकश संरचित हृदय समाधानों में भारत की बढ़ती क्षमता तथा आधुनिक कार्डियक देखभाल को सुलभ बनाने की मेरिल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 

मायक्लिप (TEER) सिस्टम को गंभीर मिट्रल रीगर्जिटेशन (एमआर) से पीड़ित मरीज़ों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनमें पहले से मौजूद बीमारियों जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, मोटापे, उम्र, शारीरिक कमज़ोरी, बढ़े हुए या कमज़ोर हृदय और फेफड़ों, गुर्दों एवं लिवर रोगों के चलते सर्जिकल जोखिम अधिक होता है। अगर एमआर का इलाज न किया जाए तो मरीज़ के मृत्यु की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। 50 फीसदी से अधिक मरीज़ समय पर उपचार के बिना जीवित नहीं रह पाते और एक वर्ष के भीतर मृत्यु दर 57 फीसदी तक भी हो सकती है।

मायक्लिप (TEER) सिस्टम मिट्रल वॉल्व के फ्लैप्स को सटीकता से बंद करता है, जिससे साफ खून के फेफड़ों में पीछे की ओर जाने की संभावना नहीं रहती। यह प्रक्रिया मिनिमल इनवेसिव होती हे, इसमें तकरीबन एक घण्टा लगता है और मरीज़ 3-5 दिनों के भीतर घर जा सकता है। छुट्टी के बाद मरीज़ बहुत कम समय में ही रोज़मर्रा के काम जैसे चलना, हल्के-फुल्के काम शुरू कर सकता है।

न्यू इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित सीओएपीटी अध्ययन के अनुसार जिन मरीज़ों को मिट्रल रीगर्जिटेशन के लिए डिवाइस-बेस्ड थेरेपी मिलती है, उनमें स्टैण्डर्ड उपचार की तुलना में बेहतर परिणाम मिलते हैं। डिवाइस ग्रुप में 24 महीनों के भीतर प्रति मरीज़ प्रति वर्ष हार्ट फेलियर के लिए अस्पताल में भर्ती दर कम होकर 35.8 पर आ गई, जबकि कंट्रोल ग्रुप में यह 67.9 फीसदी थी। इसके अलावा, इसी अवधि में डिवाइस ग्रुप में मृत्यु दर बहुत कम 29.1 फीसदी थी, जबकि कंट्रोल ग्रुप मंन 46.1 फीसदी रही।

वर्तमान में भारत में हर साल तकरीबन 150 टीईईआर प्रक्रियाएं की जाती हैं, इसमें से ज़्यादातर मरीज़ 30 से 60 वर्ष के होते हैं। ये आंकड़े युवा आबादी में जल्द एवं प्रभावी हस्तक्षेप की बढ़ती आवश्यकता पर रोशनी डालते हैं। 

मायक्लिप (TEER) सिस्टम का लॉन्च भारत में स्ट्रक्चर्ड हार्ट थेरेपी में बदलावकारी पल है। इस (TEER) थेरेपी ने पारम्परिक गाईडलाईन डायरेक्ट मेडिकल थेरेपी की तुलना में काफी सफलता हासिल की है। मायक्लिप भारत के कार्डियोवैस्कुलर उपचार क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है। 

*इस अवसर पर संजीव भट्ट, सीनियर वाईस प्रेज़ीडेन्ट, कॉर्पोरेट स्ट्रैटेजी, मेरिल लाईफ साइंसेज़ ने कहा,* ‘‘भारत में तकरीबन 1.5 मिलियन लोग गंभीर मिट्रल रीगर्जिटेशन से पीड़ित हैं। इनमें से तकरीबन 1.2 मिलियन मामलों में हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक देखा जाता है। ऐसे में मायक्लिक (TEER) सिस्टम एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसके अलावा कार्डिओलॉजिस्ट्स को प्रशिक्षित करने और टीईई आधारित इमेजिंग विशेषज्ञता के निर्माण में मेरिल के प्रयास देश में इस जीवन रक्षक थेरेपी को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं।’

‘मायक्लिप के साथ मेरिल ग्लोबल मेडटेक में देश की भूमिका को नया आयाम दे रहा है। यह स्वदेशी इनोवेशन भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा जगत के आपसी सहयोग की क्षमता का प्रमाण है। मेरिल का राष्ट्रव्यापी सार्वजनिक जागरुकता अभियान #ट्रीटमेन्टज़रूरीहै, अपने पूरे ज़ोर पर है। जिसमें ब्राण्ड अम्बेसडर एमएस धोनी मरीज़ों एवं उनके परिवारों को मिट्रल वॉल्व रीगर्जिटेशन के जल्द से जल्द इलाज के बारे में जागरुक बना रहे हैं,’ श्री भट्ट ने कहा।

दो दिवसीय स्ट्रक्चर हार्ट इनोवेशन साइंटिफिक प्रोग्राम में केस डेमो, इंटरैक्टिव व्यवहारिक कार्यशलाओं का आयोजन किया गया। जाने-माने कार्डिओलॉजिस्ट्स एवं इकोकार्डिओलॉजिस्ट्स ने प्रेज़ेन्टेशन दी। कार्यक्रम का समापन देश में स्थायी (M-TEER) सिस्टम के निर्माण के आह्वान के साथ हुआ, जो चिकित्सकीय दक्षता, सुलभता और इनोवेशन में योगदान दे सकता है।