आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने गाने नकली ही रहेंगे, उनमें आत्मा नहीं आ सकती : गिरीश विश्वा

स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए रिदम किंग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने गाने नकली ही रहेंगे, उनमें आत्मा नहीं आ सकती : गिरीश विश्वा
इंदौर। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने गाने आर्टिफिशियल या नकली ही रहेंगे। उनमें कभी भी लाइव म्यूज़िक जैसे इमोशन या आत्मा नहीं आ सकती। नए कलाकार एक वाद्य यंत्र के सहारे न रहें, आज संगीत जगत में टिकने के लिए वर्सेटाइल होना ज़रूरी है।
ये बात इंदौर से निकलकर आज बॉलीवुड संगीत और रियलिटी शो जगत में रिदम अरेंजमेंट क्षेत्र की शीर्ष हस्ती बन चुके गिरीश विश्वा ने कही। वे स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। गृहनगर इंदौर से अपने जुड़ाव के विषय में उन्होंने कहा कि इंदौर वाले इतना प्रेम देते हैं कि यहां आकर उम्र पाँच साल घट जाती है। बॉलीवुड में अपने प्रवेश का श्रेय उन्होंने अपने परनाना नारायण राव इंदौरकर, अपने छोटे नाना लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ रिदम बजाने वाले विजय इंदौरकर एवं मदन मोहन के साथ ढोलक बजाने वाले नानाजी महादेव इंदौरकर को दिया। उन्होंने बताया कि एक दिन नानाजी के लेट हो जाने पर उन्होंने एलपी के निर्देशन में मटकी वादन किया था और उन्हें पसंद आने पर लगातार आगे बढ़ते गए। आज भी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल एवं आर डी बर्मन उनके पसंदीदा संगीतकार हैं। एआर रहमान के साथ अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि गायक सुखविंदर सिंह के कहने से उन्हें रिदम अरेंजमेंट का अवसर दिया। वर्तमान में भागवत प्रवक्ता इंद्रेश उपाध्याय के साथ उनका म्यूजिक एलबम प्यारो वृंदावन उन्हें बहुत प्रिय है।
विश्वा रॉकर्स नाम से अपने बैंड के साथ पूरी दुनिया में शोज़ कर रहे श्री विश्वा ने संगीतप्रेमियों के इतने प्रेम को ईश्वर की कृपा बताया। उन्होंने कहा कि लाइव रिकॉर्ड किए गए पुराने गीतों में सौ-एक सौ बीस कलाकारों की आत्मा जुड़ी होती थी, उनके सुझाव भी होते थे इसलिए उन्हें आज भी सुना जाता है। जबकि एकल रिकॉर्डिंग के दौर के गाने कुछ महीनों में लुप्त हो जाते हैं।
1994 से रिएलिटी शोज़ का अभिन्न हिस्सा रहे गिरीश विश्वा ने कहा कि गजेंद्र सिंह के कारण भारत में ये शोज़ लोकप्रिय हुए और अनेक कलाकारों को मौका मिला। इन शोज़ के बिना पहले अवसर मिलना कठिन था। वे चाहते हैं कि कोई ऐसा रियलिटी शो आए जिसमें बिना उम्र के बंधन के प्रतिभाएं हिस्सा ले सकें। उन्होंने स्वीकारा कि अब लोकप्रियता के लिए रिएलिटी शो में मार्मिक स्टोरी जैसे तत्व डाले जाने लगे हैं। अनप्लग्ड म्यूज़िक को बहुत देर नहीं सुना जा सकता, रिदम का साथ ज़रूरी है। आज रिकॉर्डिंग स्टूडियो में कलाकारों के लिए अवसर घट गए हैं इसलिए नए कलाकारों को एकाधिक वाद्य यंत्र सीखने के साथ वर्सेटाइल बनना चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि अपनी एकेडमी में वे इंदौर से आने वाले विद्यार्थियों को निःशुल्क सिखाएंगे।
संवाद कार्यक्रम का प्रभावी संचालन गायक विनीत शुक्ला ने किया। संवाद कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, महासचिव आलोक बाजपेयी, गोरधन लिंबोदिया, नितिन माहेश्वरी, मीना राणा शाह, दीपक माहेश्वरी ने पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र से स्वागत किया। सुदेश गुप्ता ने स्मृति चिन्ह एवं कार्टूनिस्ट गोविन्द लाहोटी ‘कुमार’ ने कैरीकेचर भेंट किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में आलोक बाजपेयी, मनीष शुक्ला एवं रोहित ओझा के गायन के साथ एवं बाद में लाजवाब सोलो ढोलक वादन करते हुए विश्वा ने समां बांध दिया।