इंदौर क्लाइमेट मिशन - जलवायु सुधार का एक मॉडल

इंदौर क्लाइमेट मिशन - जलवायु सुधार का एक मॉडल

इंदौर क्लाइमेट मिशन - जलवायु सुधार का एक मॉडल

इंदौर। भारत के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में लगातार सात वर्षों तक अपनी पहचान बनाए रखने वाले इंदौर ने अब जलवायु सुधार में भी एक नई मिसाल कायम की है। इंदौर क्लाइमेट मिशन (ICM) की सफलता ने इसे सिद्ध कर दिखाया है। इंदौर नगर निगम (IMC) और एनर्जी स्वराज फाउंडेशन (ESF) ‌द्वारा संयुक्त रूप से संचालित इस 100 दिवसीय अभियान का उद्‌द्देश्य जन सहभगिता के माध्यम से शहर भर में बिजली की खपत को कम करना था न कि बुनियादी ढांचे के उन्नयन या वित्तीय प्रोत्साहन पर।

जनवरी और फरवरी 2025 के दौरान, इंदौर ने अपने पिछले चार वर्षों के खपत आंकों के आधार पर अनुमानित उपभोग की तुलना में कुल 1.51 करोड़ यूनिट बिजली की प्रमाणित बचत की- जिसमें जनवरी में 0.76 करोड़ यूनिट और फरवरी में 0.75 करोड यूनिट की बचत हुई। यह आंकड़े शहर की बिजली वितरण कंपनी मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MPPKVVCL) से प्राप्त वास्तविक रियल टाइम आंकड़ों द्वारा सत्यापित किए गए।

इस अभियान का पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव अत्यंत प्रभावशाली रहा। इस अभियान के तहत, 12,000 मीट्रिक टन CO: उत्सर्जन रुका जो कि लगभग 12,000 पूर्ण विकसित पेड़ों की कार्बन अवशोषण क्षमता के बराबर है। साथ ही, महज दो महीनों में ₹9.8 करोड़ की प्रत्यक्ष वितीय बचत दर्ज की गई।

यदि इस प्रकार का व्यवहार वर्षभर जारी रहा, तो शहर लगभग 9 करोड़ यूनिट बिजली की वार्षिक बचत कर सकता है, जिससे 72,000 मीट्रिक टन CO: उत्सर्जन रोका जा सकेगा और ₹58.5 करोड़ से अधिक की बिजली बचत संभव होगी। यह प्रभाव लगभग 72,000 पेड़ों को बचाने के बराबर होगा और 64 मेगावॉट की नई सौर उत्पादन क्षमता की आवश्यकता को टाल सकेगा।

इस अभियान का नेतृत्व आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी द्वारा किया गया, जिन्हें एनर्जी स्वराज यात्रा के लिए जाना जाता है, और इसका सक्रिय समर्थन इंदौर के माननीय महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने किया। इस मिशन में छात्रों, शिक्षकों, वार्ड पार्षदों, ऑटो चालकों और स्वयंसेवकों सहित सभी वर्गों के नागरिकों ने भाग लिया। संवाद और जन-जागरुकता फैलाने के लिए जलवायु चौपाल, सौर ऊर्जा चालित बस, होर्डिंग्स, रेडियो कार्यक्रम और सड़क स्तर की गतिविधियों का उपयोग किया गया।

इंदौर क्लाइमेट मिशन यह साबित करता है कि सामूहिक सार्वजनिक कार्रवाई और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है। यह सिर्फ इंदौर की सफलता नहीं है, बल्कि यह भारत और विश्व के अन्य शहरों के लिए एक दोहराया जा सकने वाला मॉडल है।