संत, समाज को चैतन्यता के साथ ऊर्जा भी प्रदान करते हैं – विश्वरत्न सागर म.सा.

संत, समाज को चैतन्यता के साथ ऊर्जा भी प्रदान करते हैं – विश्वरत्न सागर म.सा.

संत, समाज को चैतन्यता के साथ ऊर्जा भी प्रदान करते हैं – विश्वरत्न सागर म.सा.

युवा हृदय सम्राट आचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. को समाजबंधु पालकी यात्रा के रूप में ले गए नरसिंह वाटिका

इंदौर,। सीखने की उम्र कभी खत्म नहीं होती। सीखने की कोई सीमा भी नहीं होती। सीखना ही शिष्यत्व है। मालवा क्षेत्र के 500 वर्षों के इतिहास में ऐसे दिव्य, तपस्वी और मर्यादावान महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने धर्म-संस्कृति के माध्यम से समाज को इतना चैतन्य और अनुशासित बनाया है कि आज सैकड़ों वर्ष बाद भी हम उनकी वंदना कर रहे हैं। संत समाज को चैतन्यता के साथ ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। चातुर्मास में त्याग, तप, साधना और सेवा के साथ संयम के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा पुण्य माना गया है।

                    ये दिव्य विचार हैं युवा हृदय सम्राट आचार्य विश्वरत्न सागर म.सा. के, जो उन्होंने अर्बुदगिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार इंदौर के तत्वावधान में गुरूवार को एयरपोर्ट रोड स्थित महावीर बाग से नरसिंह वाटिका तक निकाली गई भव्य गुरू पालकी यात्रा के पश्चात नरसिंह वाटिका पर आयोजित गुरू गुणानुवाद सभा में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए और सभी पूर्ववर्ती आचार्यों के प्रति वंदना की। उन्होंने मालवा रत्न से विभूषित अपने प.पू. गुरू नवरत्न सागर म.सा. का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि उनके संपर्क और सानिध्य में आने के बाद खोटा सिक्का भी खरा बन जाता है। गुरू की महिमा की कोई सीमा नहीं होती। गुरू अपने शिष्य की प्रगति से हमेशा प्रसन्नता महसूस करते हैं। आज समाज में जो कुछ चैतन्यता नजर आ रही है, वह इन सब गुरूओं और साधुओं के त्याग और तप का ही परिणाम है। 

             महावीर बाग से सैकड़ों भक्तों द्वारा अपने कंधों पर पालकी में विराजित युवा हृदय सम्राट प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. के नरसिंह वाटिका पहुंचने पर संगीतकार देवेश जैन की मधुर गीतांजलि के बीच आयोजन समिति के पुण्यपाल सुराना, कैलाश नाहर, ललित सी. जैन, प्रीतेश ओस्तवाल, मनीष सुराना, पारसमल बोहरा सहित सैकड़ों समाजबंधुओं ने जय-जयकार के बीच हर्ष ध्वनि की और सभी साधु साध्वी भगवंतों की अगवानी की। इस अवसर पर प.पू. हेमेन्द्रश्री म.सा., प.पू. दमिताश्री म.सा., अमितगुणाश्री म.सा., निर्मलगुणाश्री म.सा., कल्पद्रुमाश्री म.सा., सिद्धांतज्योतिश्री म.सा., शुद्धिप्रसन्नाश्री म.सा., पूर्णायशाश्री म.सा. सहित शहर में विराजित साधु साध्वी भगवंतों ने भी सानिध्य प्रदान किया। धर्म सभा में गणीवर्य श्री कीर्तिरत्न म.सा. एवं उत्तम रत्न म.सा. ने भी अपने उदबोधन में गुरू पूर्णिमा का महत्व बताया और श्रावकों से आग्रह किया कि वे चातुर्मास में सिद्धि तप की आराधना करें। आज के लाभार्थी अमृतलाल मूणत परिवार का बहुमान भी किया गया। स्वामी वात्सल्य के साथ आज की सभा का समापन हुआ। 

           नरसिंह वाटिका पर आज से चातुर्मासिक धर्मसभा का शुभारंभ हो गया है। इसमें प्रत्येक रविवार को प.पू विश्वरत्न सागर म.सा. के सानिध्य में विशेष शिविरों का आयोजन भी होगा। इनमें पहला शिविर रविवार को सुबह नियमित धर्मसभा के पश्चात ‘संबंध कैसे जोड़ें’ विषय पर होगा।