भगवान तो कृपा करने के लिए ही बैठे हैं, लेकिन जीव मोह की निंद्रा में डूबा हुआ–किरीट भाईजी

भगवान तो कृपा करने के लिए ही बैठे हैं, लेकिन जीव मोह की निंद्रा में डूबा हुआ–किरीट भाईजी

इंदौर, ।  हमने अब तक किसी भी क्षेत्र में जो कुछ भी किया है, वह अधूरा ही था। यह अधूरापन ही हमें आगे बढ़ने और परिपूर्णता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। काम, क्रोध, लोभ जैसे तीन ऐसे शत्रु हैं, जो मनुष्य को कहीं न कहीं से घेर लेते हैं। भगवान ने तो हम सबको खुला आमंत्रण दिया हुआ है कि आओ और इन सारे अवगुणों से मुक्त हो जाओ, लेकिन जीव सोया हुआ है। भगवान तो कृपा करने के लिए ही बैठे हैं, लेकिन जीव मोह की निंद्रा में डूबा हुआ है। हम सब परमात्मा के प्रति कृतज्ञ हैं, जिन्होंने ज्ञान रूपी दीप प्रकाशित किया, महापुरुषों ने हमारे जीवन को सत्य की राह पर दौड़ाया या मोड़ा और हमें इतना विवेकवान बनाया कि हम अपने माता-पिता, गुरू एवं आचार्य के मार्गदर्शन में जीवन की राह पर सार्थक दिशा में बढ़ रहे हैं। यही हमारे जीवन की धन्यता है। इसमें निरंतरता होना चाहिए।

         ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात संत, ब्रह्मऋषि किरीट भाईजी के, जो उन्होंने शनिवार को तुलसी परिवार इंदौर के तत्वावधान में साउथ तुकोगंज स्थित जाल सभागृह में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित सत्संग, मनोरथ आरती, संकीर्तन, गुरू दीक्षा, प्रश्नोत्तरी, ठाकुरजी के स्नान एवं आरती सहित विभिन्न कार्यक्रमों में व्यक्त किए। इस अवसर पर उज्जैन, धार, देवास, खरगोन, खंडवा सहित आसपास के जिलों के भक्त भी मौजूद थे। प्रारंभ में तुलसी परिवार की ओर से संजय सोनी, मीतेश जोशी, सुनील मालू, उमेश नीमा,  प्रहलाद सिंघल आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया। भाईजी का स्वागत करने के लिए राज्य के अनेक जिलों से श्रद्धालु और शिष्य आए थे, इनमें से जयप्रकाश भुराड़िया, सुनीता पिल्लई, आशा भटनागर, शरद दुबे,  कैलाश मांडरे, मधु राजेश गुप्ता, दीपक पाटीदार आदि प्रमुख थे।  संचालन संजय सोनी ने किया और आभार माना सुनील मालू ने। 
          प्रारंभ में गोपाल शर्मा ने ‘मोहे लागी लगन गुरू चरनन की’.... भजन सुनाकर गुरू वंदना की। भाईजी ने भी ‘जय गोपाल, राधे कृष्ण गोविंद गोविंद’....  भजन के बाद अपने आशीर्वचन में कहा कि कृष्ण का रंग श्याम और श्वेत को मिलाकर काला ही है। संसार में हमने अब तक  जो कुछ किया हैं, चाहे वह खान-पान हो, व्यवहार हो या अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का काम हो... अधूरा ही किया है। यह सभी काम हमने काम, क्रोध और लोभ के वशीभूत होकर ही किया है। भगवान तो हम पर कृपा करने के लिए ही बैठे हैं। उनका खुला आमंत्रण है कि सुधर जाओ, लेकिन जीव सोया हुआ है। गुरू वही है, जो हमारे मेल को धो डाले। गुरू धोबी की तरह हमारे दाग-धब्बों को साफ करने का काम करते हैं। 
        कोरोना काल का उल्लेख करते हुए भाईजी ने कहा कि लोगों ने तब भी सबक नहीं लिया तो अब मैं कैसे किसी को सुधार सकता हूं। ऐसा कोई व्यक्ति दुनिया में नहीं होगा, जिसके जीवन में दुख न आया हो। कृष्ण कन्हैया की बात करें तो वे सब लोग गोपियां ही है, जो गुप्त रूप से कन्हैया से प्रेम करते हैं। जो लड़कियां सोचती हैं कि उनके लिए घोड़े पर सवार होकर, साफा बांधकर, हाथ में तलवार लेकर कोई राजकुमार ब्याहने आएगा तो उन्हें समझना चाहिए कि विवाह के बाद भी कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें दूल्हे या दुल्हन की शक्ल या परिस्थितियां बदल जाती हैं। माता-पिता को भी ध्यान रखना चाहिए कि बिदाई के समय कभी अपनी बेटी को यह नहीं कहें कि बेटी चिंता मत करना, कुछ भी हो तो हम बैठे हैं। यह बेटी और दामाद के बीच तलाक की नींव है। आजकल जहां देखो, पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले बढ़ते ही जा रहे है। भारतीय परिवारों के लिए यह अच्छी बात नहीं है। अब समझौता करना सीखना होगा। विवाह हो या अन्य कोई रिश्ता, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जो आज है वह कल नहीं रहेगा और जो कल था वो आज नहीं है।  
              भक्तों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए भाईजी ने कहा कि कृष्ण माखन चोर नहीं थे। संस्कृत में नवनीत का एक अर्थ मन भी होता है। कृष्ण माखनचोर नहीं मन को चुराने वाले थे। मन भी ऐसा, जो शुद्ध, सात्विक और अन्य अपेक्षाओं से मुक्त होगा, तभी भगवान उसको चुराएंगे। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्राणी शास्त्र के अनुसार राम नाम का उच्चारण करने से मस्तिष्क में नायट्रिक आक्साईड नामक रसायन बनता है, जो बूढ़े लोगों के लिए श्वांस लेने में फायदेमंद होता है। यह एक चिकित्सकीय और विज्ञान सम्मत तथ्य है कि राम नाम के उच्चारण से लोगों को कई तरह के लाभ होते हैं।