परिवार को बचाने के लिए एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखें – विश्वरत्न सागर म.सा.

परिवार को बचाने के लिए एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखें – विश्वरत्न सागर म.सा.

परिवार को बचाने के लिए एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखें – विश्वरत्न सागर म.सा.


नरसिंह वाटिका में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान की धर्मसभा में ‘संबंधों की डोर’ विषय पर प्रेरक आशीर्वचन

इंदौर। आज के दौर में हमारे परिवार टूट रहे हैं,  रिश्ते दरक रहे हैं और संयुक्त परिवार की अवधारणा बिखर रही है। एक समय था, जब परिवार में सभी सदस्यों के बीच आपस में स्नेह, समन्वय और सम्मान के भाव होते थे, लेकिन अब हालात बदलते जा रहे हैं। अनेक रिश्ते और संबोधन जैसे बुआ, मासी, चाचा आदि लुप्त हो गए हैं। अनेक परिवारों में बच्चे तो सेट हैं, लेकिन माता-पिता अपसेट । पोते-पोती विदेशों से वीडियो कॉल पर दादू हाय और दादू बाय जैसे संबोधन कर रहे हैं। विडंबना है कि बच्चे खुशियों के आंसू और वृद्ध माता-पिता खून के आंसू पी रहे हैं। परिवार को बचाने की पहली शर्त है कि हम एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखें।
        एयरपोर्ट रोड, नरसिंह वाटिका पर अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार इंदौर के तत्वावधान में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान में युवा हृदय सम्राट जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. ने रविवार को ‘संबंधों की डोर’  विषय पर रविवारीय व्याख्यानमाला के शुभारंभ सत्र में ऐसी अनेक बातें कहीं, जो खचाखच भरे सभागृह में बैठे साधकों के मन को छू गई। धर्मसभा को मुनि प्रवर प.पू. उत्तमरत्न सागर म.सा. ने भी संबोधित किया और कहा कि परिवार को बचाने के लिए तीन चीजें हमेशा याद रखें, ये हैं संपर्क, संघर्ष और संबंध ।  जब संबंध बिगड़े तब वहां संघर्ष चालू हो जाता है, लेकिन यदि परिवार में संपर्क ठीक रहे तो प्रेम, प्यार और समन्वय बना रहेगा तथा संबंधों को बिखरने की वजह नहीं मिलेगी। गणिवर्य कीर्तिरत्न सागर म.सा. ने भी परिवार को समाज और राष्ट्र की बुनियादी इकाई बताते हुए चातुर्मास के दौरान सिद्ध तप की आराधना का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जिनशासन में त्याग, तप और साधना का जो महत्व है, उसके अनुरूप हमें इस तरह की सिद्धि तप आराधना का पुण्य लाभ अवश्य लेना चाहिए।  
            प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. ने कहा कि  समाज में तलाक के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। इन सारे हालातों के पीछे मुख्य कारण यही नजर आता है कि परिवार में एक-दूसरे की टांग खींचने और इर्ष्या की प्रवृत्ति बढ़ गई है, हालांकि अनेक अपवाद भी हैं। इस स्थिति में परिवार के लोगों को धैर्य, संयम और सहन करने की भावना से काम करना होगा। परिवार को बचाना है तो गम खाना भी सीखना होगा। उन्होंने टीवी पर दिखाए जाने वाले धारावाहिकों पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल परिवार के रिश्तों में भी इन धारावाहिकों के दृश्यों के कारण तनाव की स्थिति बन रही है। जीवन में कामयाबी पाने के लिए समन्वय और समझौते के रास्ते पर चलना जरूरी है। सबको साथ लेकर चलना कुशल नेतृत्व की पहचान होती है। परिवार की साज-संभाल भी अब एक चुनौती भरा काम हो गया है। परिवार को बचाने की पहली शर्त है कि हम एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखें। 
         प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से कैलाश नाहर एवं ललित सी जैन, हंसराज जैन एवं मनीष सुराना ने सभी समाजबंधुओं की अगवानी की।  आज धर्मसभा में शहर के सभी प्रमुख जैन श्रीसंघों के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। समूचा सदन खचाखच भरा रहा, जहां पैर रखने के लिए भी बड़ी मुश्किल से जगह मिल पाई। समिति के पारस बोहरा पुण्यपाल सुराना, प्रीतेश ओस्तवाल, दीपक सुराना एवं शैलेन्द्र नाहर आदि ने कार्यकर्ताओं के साथ विभिन्न व्यवस्थाओं को संभाला। संचालन शेखर गेलड़ा ने किया। इस अवसर पर विभिन्न आयोजनों के लाभार्थी नवरत्न आदर्श परिवार, भजन गायक एवं अन्य अनुष्ठानों के लाभार्थी बंधुओं  का प.पू. विश्वरत्नसागर म.सा की निश्रा में बहुमान भी किया गया। अगले रविवार को नरसिंह वाटिका में ‘महापुरुषों की महागाथा’ विषय पर प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. सहित विभिन्न विद्वान वक्ताओं के व्याख्यान होंगे, जबकि नियमित सत्संग सभा में प्रतिदिन सुबह 9 बजे से उत्तराध्ययन सूत्र पर आधारित प्रवचनों की श्रृंखला जारी रहेगी।