कर्ज के पहाड़ के नीचे मध्यप्रदेश...

कर्ज के पहाड़ के नीचे मध्यप्रदेश...

कर्ज के पहाड़ के नीचे मध्यप्रदेश...
केवल आपका ही नहीं सरकार का कर्ज भी चुकाना है भाई.... 

मध्य प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक ₹9,500 करोड़ का कर्ज लिया है, जिसमें हाल ही में ₹4,500 करोड़ का नया ऋण शामिल है। इससे राज्य पर कुल कर्ज बढ़कर लगभग ₹4.31 लाख करोड़ हो गया है।  यह कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का लगभग 31.3% है, जो देश के कई अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है

 नया कर्ज: ₹4,500 करोड़ की योजना
सरकार ने जून 2025 में दो किश्तों में कर्ज लेने का निर्णय लिया है:
= ₹2,000 करोड़ का कर्ज, जिसकी अवधि 16 वर्ष है और भुगतान की अंतिम तिथि 4 जून 2041 है।
= ₹2,500 करोड़ का कर्ज, जिसकी अवधि 18 वर्ष है और भुगतान की अंतिम तिथि 4 जून 2043 है。
इससे पहले, मई 2025 में भी सरकार ने दो बार ₹2,500-₹2,500 करोड़ के कर्ज लिए थे。

 कर्ज का उपयोग
सरकार इस कर्ज का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए कर रही है:
= विकास कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराना।
= कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) का भुगतान करना。
= 'लाड़ली बहना योजना' की किस्तें जमा करना。
= बारिश से पहले निर्माण कार्यों के खर्चों का भुगतान करना。

राज्य की अनुमानित जनसंख्या 8.90 करोड़ (89 मिलियन) है। इस आधार पर प्रति व्यक्ति कर्ज की गणना इस प्रकार है:
प्रति व्यक्ति कर्ज की गणना:
कुल कर्ज=  ₹4,80,976 करोड़
जनसंख्या (2025)=    8.90 करोड़ (89,000,000)
प्रति व्यक्ति कर्ज=    ₹53,932 लगभग

इसका अर्थ है कि प्रत्येक मध्य प्रदेश निवासी पर औसतन ₹53,932 का कर्ज है।

 महत्वपूर्ण बिंदु:
=कर्ज का GSDP अनुपात: मध्य प्रदेश का कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का लगभग 31.3% है, जो देश के कई अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है。
=वित्तीय वर्ष 2024-25 में लिया गया नया कर्ज: ₹61,400 करोड़ का नया कर्ज लिया गया है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति पर अतिरिक्त दबाव डालता है。
=राज्य की रैंकिंग: कुल कर्ज के मामले में मध्य प्रदेश देश में नौवें स्थान पर है。


 राज्य की वित्तीय स्थिति
सरकार का दावा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति स्थिर है और रेवेन्यू सरप्लस सकारात्मक संकेत दे रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य ने ₹12,487.78 करोड़ का रेवेन्यू सरप्लस दर्ज किया था। हालांकि, विपक्ष ने सरकार की कर्ज लेने की नीति पर सवाल उठाए हैं और पारदर्शिता की मांग की है。

 निष्कर्ष
मध्य प्रदेश सरकार का बढ़ता कर्ज राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव डाल सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कर्ज विकास कार्यों और सामाजिक योजनाओं के लिए आवश्यक है। जनता और विपक्ष की चिंताओं को देखते हुए, सरकार को चाहिए कि वह कर्ज की उपयोगिता और पुनर्भुगतान की योजना के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान करे।