मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी में "अवशेष से आविष्कार" करने वालों का हुआ सम्मान

मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी में "अवशेष से आविष्कार" करने वालों का हुआ सम्मान
इंदौर, मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी में आज "अवशेष से आविष्कार" प्रतियोगिता का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के गैर-शैक्षणिक (नॉन-टीचिंग) कर्मचारियों की नवाचार क्षमता और रचनात्मकता को उजागर किया गया। इस अनूठी पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा केवल पढ़ाई-लिखाई या शिक्षण तक सीमित नहीं होती — तकनीकी और प्रशासनिक कार्यों में लगे कर्मचारी भी समाज और संस्थान को अपनी कल्पनाशक्ति और मेहनत से प्रेरित कर सकते हैं।
प्रतियोगिता में ऐसे मॉडल और कलाकृतियाँ प्रस्तुत की गईं, जो विश्वविद्यालय परिसर में उपलब्ध अनुपयोगी वस्तुओं (स्क्रैप) से तैयार किए गए थे। इन प्रस्तुतियों में विश्वविद्यालय का लघु मॉडल, पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी कलाकृतियाँ, ऊर्जा-संरक्षण उपकरण और अन्य रचनात्मक विचार विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। यह आयोजन एक ऐसा मंच था जहाँ ‘कर्मचारी’ को ‘सृजनकर्ता’ के रूप में देखा गया।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री आर. सी. मित्तल रहे। उन्होंने प्रतिभागियों के कार्यों को सराहा और कहा कि किसी भी संस्थान की शक्ति उसके प्रत्येक सदस्य में निहित होती है — और यह आयोजन उसका सजीव प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे और भी मंच तैयार किए जाएंगे, जहाँ प्रत्येक कर्मचारी अपनी रचनात्मक ऊर्जा को प्रदर्शित कर सके।
कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथियों में कुलपति माननीय प्रो. (डॉ.) दिलीप कुमार पटनायक, विश्वविद्यालय सलाहकार श्री अक्षत गर्ग, ओ. एस. डी. टू चांसलर श्री पलाश गर्ग, श्रीमती सुमिता पटनायक, रजिस्ट्रार श्री पन्नीरसेल्वम सिलुवैनाथन, तथा निदेशक (जनसंपर्क) श्री सुजीत सिंघल शामिल रहे। निर्णायक मंडल में श्रीमती सुमिता पटनायक और श्री पलाश गर्ग ने सक्रिय भूमिका निभाई और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की।
इस पूरे कार्यक्रम का सफल संयोजन नवाचार केंद्र द्वारा किया गया, जिसका नेतृत्व डॉ. सरिता कंसल एवं डॉ. अकबर अली ने किया। उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता न केवल रचनात्मकता को मंच देती है, बल्कि संसाधनों के पुनः उपयोग (री-यूज़) की भावना को भी प्रोत्साहित करती है।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर "टीम नवसृजन" (सेंट्रल लाइब्रेरी) रही, जिन्होंने अपनी कलात्मकता और संदेशप्रद मॉडल से सभी का ध्यान आकर्षित किया। प्रथम उपविजेता के रूप में "टीम प्रयास" (मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग) ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, जबकि द्वितीय उपविजेता "टीम 8085 सर्किट" (इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग) रही, जिनके तकनीकी कौशल और नवाचार ने निर्णायक मंडल को प्रभावित किया।
यह आयोजन न केवल प्रतिभागियों के लिए गौरव का विषय बना, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय समुदाय को यह संदेश दिया कि हर कर्मचारी में सृजनात्मकता की क्षमता होती है — आवश्यकता है बस एक मंच की, जो उन्हें पहचान दिला सके। यह आयोजन अपने प्रकार की एक अनूठी पहल थी, जो देशभर के शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।