इमोशन की जगह मशीन नहीं ले सकती" — एंटरटेनमेंट में एआई को लेकर सैयामी खेर की बेबाक राय

इमोशन की जगह मशीन नहीं ले सकती" — एंटरटेनमेंट में एआई को लेकर सैयामी खेर की बेबाक राय

इमोशन की जगह मशीन नहीं ले सकती" — एंटरटेनमेंट में एआई को लेकर सैयामी खेर की बेबाक राय

AI कभी असली इंसानी जज़्बात नहीं समझ सकता" — ‘स्‍पेशल ऑप्स 2’ के लॉन्च से पहले सायामी खेर की खरी बात

इंदौर - फ्राइडे स्टोरीटेलर्स द्वारा प्रस्तुत और नीरज पांडे द्वारा निर्मित ‘स्पेशल ऑप्स 2’ का प्रीमियर 11 जुलाई से सिर्फ जियोहॉटस्टार पर

जब दुश्मन परदे के पीछे से चुपचाप हमला करता है, तब उसे समझने और रोकने के लिए एक ही नाम सामने आता है — हिम्‍मत सिंह। जियोहॉटस्टार ने ‘स्पेशल ऑप्स सीज़न 2’ का धमाकेदार ट्रेलर लॉन्च किया है, जो एक बार फिर दर्शकों के सामने रियल वर्ल्ड थ्रिल और हाई-स्टेक्स इंटेलिजेंस एक्शन की दुनिया खोल रहा है। के के मेनन एक बार फिर रॉ अधिकारी हिम्‍मत सिंह के अपने आइकॉनिक किरदार में लौट रहे हैं। इस बार मिशन और ज़्यादा गंभीर, पेचीदा और खतरनाक है।

‘स्पेशल ऑप्स 2’ का कथानक एक अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में रचा गया है, जहाँ युद्ध अब मैदान में नहीं, बल्कि डिजिटल क्लाउड पर लड़े जाते हैं। और दुश्मन हमारे रोज़मर्रा के जीवन में छिपा होता है। जब सुनियोजित साइबर हमले देश की स्थिरता को चुनौती देते हैं, तब हिम्‍मत सिंह और उनकी स्पेशल टीम एक ऐसी जंग में उतरते हैं, जिसमें न कोई शोर होता है, न धुआं और न ही ज़ख्म — लेकिन इसके असर पूरे देश को झकझोर सकते हैं।

इसी बीच, जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, वह इंसानी भावनाओं की नकल करने में भी पहले से ज़्यादा सक्षम होता जा रहा है—चाहे वो चेहरे की अभिव्यक्तियाँ हों या संवेदनशील संवाद। लेकिन एक चीज़ है जो एआई आज भी नहीं समझ सकता — असली इंसानी एहसास।

भावनाएं सिर्फ डेटा या पैटर्न से नहीं बनतीं, बल्कि ये यादों, अनुभवों और हमारी भीतरी संवेदनाओं से गढ़ी जाती हैं। 'स्पेशल ऑप्स 2' की रिलीज़ से पहले, एक्ट्रेस सायामी खेर ने इस पर अपनी बेबाक राय रखी — क्या एआई कभी असली इंसानी इमोशंस की जगह ले सकता है?

सायामी खेर कहती हैं, “सच कहूं तो ये थोड़ा डरावना है। हर साल एआई इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है कि लगता है जैसे हम ब्लैक मिरर के किसी एपिसोड में जी रहे हों। लेकिन मेरा मानना है कि AI कभी भी इंसानी जज़्बातों की जगह नहीं ले सकता — चाहे वो खेल हो या सिनेमा। जैसे हाल ही में डब्‍लूटीसी (WTC) फाइनल में साउथ अफ्रीका की जीत के बाद जो भावनाएं देखीं, उन्हें कोई मशीन नहीं समझ सकती। इंसानों के बीच जो गहराई से जुड़ाव होता है, वो सिर्फ इंसान ही महसूस कर सकते हैं। एआई मदद कर सकता है, बेहतर बना सकता है, लेकिन असली एहसास दोहरा नहीं सकता।”

जंग ख़ामोश है, ख़तरा असली है और वक़्त तेज़ी से निकल रहा है — 
स्‍पेशल ऑप्‍स 2’ देखिए 11 जुलाई से सिर्फ़ जियोहॉटस्‍टार पर।