आचार्य सुधांशु महाराज के 10 गुरुकुल स्थापना व 108 मंदिरों को संस्कार केन्द्र बनाने के संकल्प में सहयोग के लिए उठे हजारों हाथ। 

आचार्य सुधांशु महाराज के 10 गुरुकुल स्थापना व 108 मंदिरों को संस्कार केन्द्र बनाने के संकल्प में सहयोग के लिए उठे हजारों हाथ। 

सनातन एवं हिन्दुत्व जागरण संकल्प के साथ आनन्दधाम आश्रम में तीन दिवसीय सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव का हुआ शुभारम्भ

 धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, मुरारी बापू सहित सैकड़ों प्रसिद्ध संत, राजनेता बने सहभागी और आचार्य सुधांशु महाराज को दी जन्मदिन की बधाई

आचार्य सुधांशु महाराज के 10 गुरुकुल स्थापना व 108 मंदिरों को संस्कार केन्द्र बनाने के संकल्प में सहयोग के लिए उठे हजारों हाथ। 

पूज्य सुधांशु महाराज के 70वें जन्म दिवस एवं उनकी स्वर्ण जयंती सत्संग यात्रा के उपलक्ष में आयोजित है। ये महोत्सव देश के प्रतिष्ठित कवियों ने मां भारती के गौरव को बढ़ाने के लिए भरी हुंकार। 

भारत मंडपम प्रगति मैदान में गुरुकुल माडल लोकार्पण के साथ पूर्ण होगा यह महोत्सव

नई दिल्ली। जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम आ में सनातन एवं हिन्दुत्व जागरण संकल्प के साथ आनन्दधाम आश्रम में तीन दिवसीय सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव का शुभारम्भ हुआ। पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज के 10वें जन्मदिवस एवं उनकी स्वयम जयंती सत्संग यात्रा के उपलक्ष में आयोजित इस महोत्सव में बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेन्द्र कृष् शास्त्री , रामकथा मर्मज्ञ पूज्य मोरारी बापू, जगदगुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराक्रमी कल् पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णम जैन मुनि  लोकेश , महामण्डलेश्वर नवलकिशोर महाराजा आचार्य सतीश , आचार्य मनीष सहित सैकड़ों प्रसिद्ध संतगण एवं विश्व हिन्दू परिषद के संक दिनेश चंद्र जी, अध्यक्ष आलोक कुमार  केंद्रीय मंत्री संजय सेठ आदि इस महोत्सव सहभागिता के लिए आनन्दधाम आश्रम पधारकर पूज्य सुधांशु महाराज को जन्मदिन एवं 50 वर्षान सफल सत्संग यात्रा के लिए अपनी शुभकामनायें व्यक्त की।

 आचार्यसु धांशु महाराज एवं डॉ. अर्चिका दीदी जी की उपस्थिति में मिशन के महामंत्र देवराज कटारीया , राजकुमार अरोरा , दौलतराम कटारिया एवं यशपाल सचदेव ने मंचासीन सभी आमंत्रित संतों, अतिथियों का मिशन की श्रीमद्भगवदगीता व निज्ञान का मोमेंटों देकर स्वागत-सम्मान किया। कार्यकम के लिए देश के कोने कोने से मिशन के हजारों भक्त एवं पदाधिकाआश्रम पधारे और कार्यकम में हिस्सा लिया।  आचार्य सुधांशु  महाराज, श्री राजराजेश्वराश्रम  एवं ठाकुर  संजीव कृष्ण  के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से प्रारम्भ हुआ।

 

मोरारी बापू ने बताया कि आज सनातन के अलावा कोई चारा नहीं है, पूज्य सुधांशु जी महाराज सनातन का गौरव बढ़ा रहे हैं, इनके कार्य में सम्पूर्ण संत समाज साथ है। उन्होंनें कहा महाराजश्री राम के नाम और राम के काज दोनों को आगे बढ़ाने के लिए लगें हैं। उन्होंने आम जनमानस से भी महाराजश्री द्वारा किये जा रहे गुरुकुल स्थापना एवं संस्कार केंद्र जैसे संस्कृति उत्थान के महान कार्य में योगदान देने का आवाहन किया। उन्होंने कहा हमारा श्री सुधांशु जी महाराजश्री के साथ बड़ा पुराना नाता है, सौभाग्य से इस आनन्दधाम जैसे पवित्र स्थल मर आने का योग बना, निश्चित ही यहां भगवान की कृपा बरसती है। इस भली रचना को देखकर गर्व होता है कि यह सनातन की महान सेवा करने में समर्थ केंद्र है। उन्होंने पूज्यवर के महान संकल्प के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया।

 धीरेंद्र शास्त्री ने अपने कांतिकारी संदेश में उपस्थित जनमानस से देश के अंदर अमीरी का ट्रैक बदलने का आवाहन किया और कहा इससे हर नागरिक के प्रति समता भाव जगेगा। उन्होंने कहा संस्कारों से हारा हुआ भी जीता जा सकता है, आज देश की बदहली का कारण विगड़ते संस्कार ही हैं, इसलिए हम सबको मिलकर वैदिक परंपरा, संस्कार, संत सानिध्य की परम्परा को पुनर्जागृत करके एवं मंदिरों को संस्कार केंद्र बनाकर भारत के गौरव को जगाना है। उन्होंने कहा हमें देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए, भारत को भारत बनाने के लिए आज गुरुकुलों की अनिवार्य आवश्यकता है। उन्होंने कहा ज्ञान के केंद्र खुलेंगे, तो भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा।  धीरेंद्र शास्त्री ने  सुधांशु महाराज को भगवान द्वारा भेजे गुरु रूपी माली की उपमा देते हुए भक्तों को गुरुवर की बगिया के सौभाग्यमय पुष्प बताया। उन्होंने कहा पूज्य सुधांशु  महाराज परमात्मा के प्रतिनिधि बनकर धरा पर पधारे हैं। जब जीवन में ऐसे संत आते हैं, तभी हृदय में भगवंत विराजमान हो पाते हैं। इनके चरण धरने से उल्टा भाग्य भी सौभाग्य से भर जाता है। उन्होंने कहा इनके द्वारा गुरुकुल स्थापना एवं मंदिरों को संस्कार केंद्र बनाने का लिया गया संकल्प भारत सनातन गौरव को बढ़ाने में महान योगदान कहा जायेगा। धीरेन्द्र शास्त्री ने महाराज के इन संकल्पों में हर सम्भव योगदान की बात भी दोहराई।

 राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि जिस राष्ट्र में प्रतिभा का सम्मान नहीं होता, वह देश विनाश को प्राप्त होता है। उन्होंने सनातन को प्राणिमात्र का धर्म बताते हुए कहा वैदिक धर्म से भी पहले का धर्म है सनातन, वेद के मंत्र दृष्टा सनातन धर्मी ही थे। सनातन का अर्थ है नूतन और पुरातन से परे होना। जिस धर्म के लोग अपने आहार में गाय, कुत्ते, पक्षी से लेकर प्राणिमात्र के अंश को जोड़ता है.. यह सनातन धर्म है। हम महाराज श्री के सनातनी संकल्प के साथ खड़े हैं।

आचार्य सतीश ने कहा गुरु परमात्मा की शक्ति से सृष्टि का निर्माण करता है, वह निर्माण करता है दो हाथ पैर वाले व्यक्ति के' व्यक्तित्व का। पूज्य महाराज जी ऐसे ही महान गुरु हैं। ऐसे समर्थ गुरु से जुड़कर हम सभी इनके महान संकल्पों को पूरा करने में हर सम्भव सहयोग करेंगे। प्रमोद कृष्णम ने अपने भजन के भावों से पूज्यवर के प्रति शुभकामनायें व्यक्त की और हर कदम पर साथ चलने का संकल्प लिया