हम सब मिलकर बड़े पर्यावरण संतुलन की ओर, आ रही है ग्रीष्म ऋतु, धर्मेंद्र श्रीवास्तव धार,

हम सब मिलकर बड़े पर्यावरण संतुलन की ओर, आ रही है ग्रीष्म ऋतु, धर्मेंद्र श्रीवास्तव धार,

पर्यावरण असंतुलन,

धर्मेंद्र श्रीवास्तव,

इंडियन न्यूज़ अड्डा धार, 

"हवा होगी सुरक्षित तो जीवन होगा रक्षित"

जल जंगल जमीन के संरक्षण से ही भविष्य में जीवन होगा दीर्घायु.......

( ग्रीष्म ऋतु के प्रवेश करते ही बदलेगा मौसम का मिजाज) 

मानव जनित भूल 2030 तक होगी, और भी अधिक भयावह...

ऋतु परिवर्तन और बढ़ता टेंपरेचर अत्यधिक पेड़ों की कटाई और विकास की दौड़ में हम भूल गए पर्यावरण संरक्षण, मालवा क्षेत्र में जहां नौतपा में भी कभी टेंपरेचर 38 से ऊपर नहीं गया वहां वर्तमान समय में सूर्य बरसा रहा है आग आज (टेंपरेचर पहुंचा 45 के पार) इन पहलुओं को देखते हुए यदि अभी भी हम सभी जागरूक होकर "एक घर एक पेड़" वृक्षारोपण को लेकर जागरूक नहीं हुए तो प्राण वायु के लिए तरस जाएंगे, और सारे वैज्ञानिक एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण धरे के धरे रह जाएंगे, जल जंगल और जमीन को लेकर अभी भी ईमानदारी से जागरूक होकर कार्य नहीं किए गए तो भविष्य में पड़ेगा पछताना, आज के परिदृश्य में गर्मी से दूरी बनाकर मैदानी क्षेत्र के लोग पहाड़ी क्षेत्र की ओर भाग रहे हैं, और धुआं उगलती इन गाड़ियों से शुद्ध पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, यही नहीं ऋतु परिवर्तन के साथ बिगड़ते पर्यावरण में सभी मौसम प्रभावित हो रहे हैं, ठंड में अत्यधिक ठंड बारिश में अतिवृष्टि और बाड़ और गर्मी में हाई टेंपरेचर यह सब मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है, आज मानव जाति के लोग वातानुकूलित यंत्रों को लेने भाग रहे हैं कल जब वायु ही नहीं होगी तो यह यंत्र भी क्या करेंगे, ग्रामीण हो या नगरी क्षेत्र सभी जगह कच्ची भूमि का अभाव है निर्माण कार्यो ने कच्ची और खुली भूमि को समाप्त कर दिया है आरसीसी से निर्मित प्रांगण गलियां सीमेंटेड सड़कों से पट गई है पक्के मकान की दीवारें एक दूसरे से चिपक गई है, जहां देखो वहां खुलेपन का अभाव है सूर्य आकाश से आग बरसा रहा है पवित्र नदिया जल रहित हो चुकी है पानी की उपयोगिता बड़ी है, किंतु उसके संरक्षण को लेकर कोई भी जागरूक नहीं है जबकि सभी जानते हैं पानी को केवल और केवल संरक्षित किया जा सकता है उसे प्राप्त प्राकृतिक रूप से ही किया जा सकता है बनाया नहीं जा सकता, यह ईश्वर का अनमोल उपहार है आज पानी के निकट रुपयों के माध्यम से पहुंचा जा रहा है किंतु कल जब प्रकृति पानी विहीन हो जाएगी तो आपका रुपया भी उसे नहीं खरीद सकेगा। चलिए आज से ही संकल्प ले लीजिए, " एक घर एक पेड़" तभी होगा जीवन सफल।

 "आसमान और वृक्ष का जब मिलेगा सुर तभी होगी तपन दूर"  धर्मेंद्र श्रीवास्तव, ✍️✍️