संघ की अहमियत, पाकिस्तान के धोखे से लेकर ट्रंप और चीन तक, पढ़ें पीएम मोदी ने क्या क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में आरएसएस से अपने जुड़ाव के बारे में भी बात की है। इसमें पीएम मोदी ने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने आरएसएस जैसे प्रतिष्ठित संगठन से जीवन का सार और मूल्य सीखा। मुझे उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के जानेमाने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से लंबी बातचीत हुई है। इसमें पीएम मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन से जीवन की यात्रा समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है। इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने बचपन के दिनों, पिता की चाय की दुकान पर बैठनें के अनुभव से लेकर संघ से जुड़ाव और सार्वजनिक जीवन के तमाम किस्सों पर बात की। इतना ही नहीं उन्होंने भारत के पड़ोसी देशों से संबंध, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के साथ ही चीन को लेकर भी प्रतिक्रिया दी है।
जूतों को चमकाने के लिए स्कूल में इकट्ठा करता था चाक- पीएम मोदी
पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने बचपन को भी याद किया। उन्होंने बताया कि मेरा बचपन बेहद गरीबी में बीता, मैंने अपने सफेद कैनवास के जूतों को चमकाने के लिए स्कूल में इस्तेमाल किए गए चाक को इकट्ठा किया। आगे उन्होंने कहा कि लेकिन मैं सीखता रहा। जब मैं अपने पिता की चाय की दुकान पप बैठा करता था तो वहां आने वाले लोगों से बहुत कुछ सीखा। मैंने उन सीखों को अपने सार्वजनिक जीवन में लागू किया।
हिमालय में साधना कर एकाग्रता सीखी
यह पूछे जाने पर कि 17 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर दो साल के लिए हिमालय चले जाने के पीछे क्या उनका उद्देश्य सच और भगवान की तलाशना था, पीएम बचपन से ही अपने साथ कई प्रयोग करता रहता था। जैसे दिसंबर की ठंड में तय कर लेता था कि बाहर सोऊंगा। देखता हूं ठंड लगती है कि नहीं। फिर, इसी तरह हिमालय निकल गया। वहां कई तपस्वियों से मिला और प्राकृतिक आपदा के समय गांववालों की मदद की। हिमालय में ही एक तपस्वी से जीवन में एकाग्रता लाना सीखा।
निर्णय लेने में देश सबसे पहले
पीएम मोदी ने कहा कि शासन की दृष्टि से देखें तो मेरे पास कोई बोझ नहीं है। निर्णय करने में मेरा एक तराजू है कि मेरा देश सबसे पहले। सिर्फ अफसरों की नहीं सुनता, उनसे सवाल भी करता हूं। ताकि बातचीत से सही फैसला निकले। उन्होंने कहा, मेरी जोखिम लेने की क्षमता बहुत है। मैं ये नहीं सोचता कि मेरा क्या नुकसान होगा। जो देश के लोगों के लिए सही है, वहां मैं जोखिम लेने को तैयार रहता हूं। अगर कुछ गलत हो जाए तो खुद उसका जिम्मा लेता हूं।
मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीयों में है- पीएम
खुद के बारे में नकारात्मकता मेरे सॉफ्टवेयर में नहीं मैं स्वभाव से ही बहुत आशावादी व्यक्ति हूं। निराशावाद और नकारात्मकता मेरे सॉफ्टवेयर में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा, मेरी ताकत मोदी नहीं, 140 करोड़ देशवासी हैं। मैं दुनिया के किसी नेता से हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है। 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है। ये सामर्थय मोदी का नहीं भारत का है।
मृत्यु निश्चित है, उससे डरना बेमानी
यह पूछे जाने पर कि क्या आपको मृत्यु से डर लगता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन और मृत्यु में से मृत्यु ही निश्चित है। और जो चीज निश्चित है, उससे डर किस बात कहा। इसलिए मृत्यु पर चिंता करने के बजाय जीवन को गले लगाना चाहिए। इससे जीवन पनपेगा। उन्होंने सभी को अपनी ऊर्जा को अपने जीवन को समृद्ध बनाने और दुनिया में सकारात्मक योगदान देने में लगाने का आग्रह किया।
संघ से बताया अपना जुड़ाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके साथ अपने जुड़ाव पर विस्तार से बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक जैसे प्रतिष्ठित संगठन से जीवन का सार और मूल्य सीखने का मौका मिला। उन्होंने कहा, संघ से मुझे उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला। साथ ही जोड़ा, संघ को समझना आसान नहीं है, उसके काम को समझने का प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि यह अपने सदस्यों को जीवन का उद्देश्य देता है। यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है। हमारे वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो सिखाया है, संघ भी वही सिखाता है। लेक्स फ्रिडमैन के यह कहने पर कि आप आठ वर्ष की उम्र में ही हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का समर्थन करने वाले आरएसएस से जुड़े थे, प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्हें बचपन से ही एकदम पागलों की तरह देशभक्ति के गीत सुनना पसंद आता था। उन्होंने आगे कहा, बचपन में संघ की शाखाओं में जाना हमेशा अच्छा लगता था। मेरे मन में हमेशा एक ही लक्ष्य रहता था, देश के काम आना। यही संघ ने मुझे सिखाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस इस साल 100 साल पूरे कर रहा है। इससे बड़ा कोई स्वयंसेवी संघ दुनिया में नहीं है। राष्ट्र निर्माण में संघ की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ स्वयंसेवकों ने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती संगठन की शुरुआत की। इसी तरह वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासी क्षेत्रों में काम करता है। प्रधानमंत्री ने संघ के श्रमिक संगठन बीएमएस का जिक्र करते हुए कहा, जहां वामपंथियों का श्रमिक आंदोलन दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ का नारा देता, वहीं संघ का श्रमिक संगठन मजदूरों दुनिया को एक करो के नारे पर विश्वास करता है। यह सोच में एक बड़े अंतर को दर्शाता है।
पाकिस्तान को लेकर कही बड़ी बात
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को अब इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि आतंक की जड़ें कहां हैं। दुनिया में कहीं भी आतंकवाद की कोई घटना होती है तो उसके निशान कहीं न कहीं पाकिस्तान के साथ जुड़ते हैं। इसकी पीड़ा केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झेलनी पड़ रही है। पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहने से थक गए होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाला था तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया। यह एक बड़ा संदेश था। उम्मीद थी कि दोनों देश एक नया अध्याय शुरू करेंगे। उन्होंने आगे कहा, हम पूरी ईमानदारी से आशा करते हैं कि पाकिस्तान को एक दिन सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा दंगे हुए थे और सांप्रदायिक हिंसा अक्सर होती थी। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद संभाले ज्यादा वक्त नहीं हुआ था जब गोधरा की घटना हुई, यह बेहद गंभीर घटना थी। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि कैसे दंगों के बाद लोगों ने उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की लेकिन आखिरकार न्याय की जीत हुई और अदालतों ने उन्हें निर्दोष करार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि 2002 के बाद से गुजरात में एक भी ऐसा दंगा नहीं हुआ है।
भारत के बिना एआई अधूरा
प्रधानमंत्री ने एक सवाल पर कहा कि दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि एआई विकास मूलत: एक सहयोग है। इसमें शामिल सभी लोग साझा अनुभवों और सीख के जरिये एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। भारत सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा, बल्कि इसके विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई आधारित एप्लिकेशन को भी विकसित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता शक्तिशाली है लेकिन यह कभी भी मानव कल्पना की गहराई से मेल नहीं खा सकता है।