महाकुंभ में बौद्धिक शिक्षा, मूल्यों की शिक्षा, भारत को विश्वगुरु, इंडिया के स्थान पर भारत कहने की सार्थकता पर मंथन
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प्रयागराज,महाकुंभ। भारतीय शिक्षा के पुनरुत्थान और सांस्कृतिक चेतना के संकल्पों के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा ज्ञान महाकुंभ का आयोजन हुआ। प्रयागराज महाकुंभ के साथ ही हुए इस ज्ञान महाकुंभ में बौद्धिक शिक्षा, मूल्यों की शिक्षा, भारत को विश्वगुरु, इंडिया के स्थान पर भारत कहने की सार्थकता पर मंथन हुआ। इसके अलावा ज्ञान महाकुंभ में कई संकल्प लिए गए।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा प्रयागराज में ज्ञान महाकुंभ विक्रम संवत2081 का आयोजन किया गया। एक महीने तक चले इस ज्ञान महाकुंभ में शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, आयोजन, चर्चा, व्याख्यान हुए। महाकुंभ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सभी राज्यों में लागू कर भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि ज्ञान महाकुंभ में इसरो अध्यक्ष वी. नारायण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, शामिल हुए.. जिन्होंने ज्ञान परंपरा को लेकर बात की। ज्ञान महाकुंभ में भारत बनाम इंडिया पर भी मंथन हुआ.. इसके तहत तय किया गया कि इंडिया के स्थान पर भारत शब्द की सार्थकता के 10 लाख हस्ताक्षरों का अभियान चलाया जाएगा।
इस ज्ञान महाकुंभ की जानकारी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने दी। तीन दिवसीय इस आयोजन में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विश्व जागृति फाउंडेशन के वागीश स्वरूप, विनय सहस्रबुद्धे, साध्वी ऋतंभरा, राष्ट्रीय सेविका समिति की सीता अक्का, एनआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो आर.एस. शर्मा, मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, राजस्थान उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ओमप्रकाश बैरवा, हरियाणा उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो कैलाश शर्मा, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव, नीति आयोग के शिक्षा निदेशक डॉ शसीमशाह, पद्मश्री आनंद कुमार आदि गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति विशेष रही।
राष्ट्रीय कार्यक्रम में निजी शैक्षिक संस्थाओं की शिक्षा में भूमिका, शासन-प्रशासन की शिक्षा में भूमिका, विकसित भारत और भारतीय भाषाएं जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इस कार्यक्रम में पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सभी प्रांतों के शिक्षा क्षेत्र से जुड़े 10000 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षाविदों, आचार्यों आदि ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिसमें 100 से अधिक केंद्रीय और राजकीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के कुलपति, निदेशक, अध्यक्ष शामिल रहे। देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों ने सोशल इंटर्नशिप के माध्यम से इस ज्ञान महाकुंभ में अपनी सेवाएँ दी तथा विद्यार्थियों हेतु विभिन्न कक्षाओं जैसे वैदिक गणित, योग अभ्यास व संस्कृत कार्यशाला आदि का आयोजन भी हुआ।
ज्ञान महाकुंभ में कई सत्र हुए.. इसमें हरित महाकुंभ में पर्यावरण चेतना की अलख जगाई गई.. शिक्षा और संस्कारों पर व्यापक विमर्श हुआ, नैतिक व व्यावहारिक शिक्षा वाली पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था, भारतीय शिक्षा प्रणाली में आध्यात्मिकता के महत्व जैसे विषयों को रेखांकित किए गए