राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता- अनुराग

राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता- अनुराग

राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता- अनुरागज

गोराकुंड के मदन मोहनलाल मंदिर पर भागवत कथा में मना गोवर्धन पूजा महोत्सव-आज रुक्मणी मंगल

इंदौर,  राक्षसी और दुष्ट प्रवृत्तियां आदिकाल से समाज में तांडव मचा रही है। रावण और कंस से लेकर तमाम ऐसी प्रवृत्तियां हैं, जो द्वापर से कलियुग तक राष्ट्र को कमजोर बनाते आ रही है। आतंकवाद भी इसी गोत्र की नस्ल है, जिसका जड़-मूल से नाश होकर रहेगा। इसकी शुरुआत हो चुकी है। भारत यदि शास्त्र के सर्वोच्च क्रम वाली पुण्य भूमि है तो शस्त्र के मामले में भी हम दुनियाभर में बहुत आगे हैं। समाज को अब संगठित होकर इन राक्षसी गतिविधियों का मुकाबला करना होगा। राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता।

       ये दिव्य एवं ओजस्वी विचार है युवा भागवताचार्य अनुराग मुखिया के, जो उन्होंने गोराकुंड, एम.जी. रोड स्थित मदन मोहनलाल मंदिर परिसर पर चल रहे पुष्टीमार्गीय सत्संग एवं भागवत रसपान महोत्सव में गोवर्धन पूजा, नंदोत्सव एवं छप्पन भोग प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व पितृपर्वत के महेश दलोद्रा, उमेश शर्मा, मनोज काला, विपुल जोशी, आलोक शर्मा एवं दिलीप सोनी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। महिला मंडल की और से नम्रता सुगंधी, नीतू घुरे, सुनीता भंडारी, भारती जोशी, पुष्पा कोठारी आदि ने विद्वान वक्ता की अगवानी की। संयोजक राजेश जोशी ने बताया कि शुक्रवार को कथा में दोपहर 3 से सायं 7 बजे तक रुक्मणी मंगल का उत्सव मनाया जाएगा। शनिवार, 10 मई को सुदामा मिलन कथा के बाद पूर्णाहुति होगी।

       भागवताचार्य अनुरागजी ने कहा कि राजा इंद्र को भी अहंकार की बीमारी हो गई थी । भगवान कृष्ण ने बृजवासियों को अपने परिजन की तरह संभाला और इंद्र के प्रकोप से बचाया, लेकिन उसका श्रेय बाल-ग्वालो और बाल्यकाल के सखाओं को दिया। हमें भी सबक लेना चाहिए कि दूसरों को श्रेय देने में कितना आनंद आता है । अहंकार मनुष्य का ऐसा शत्रु है, जो कहीं से भी घुसपैठ कर लेता है और पता भी नहीं चलने देता कि पतन किस रास्ते से आ गया।