कब और कहां लगेगा अगला महाकुंभ? महत्व और इतिहास

कब और कहां लगेगा अगला महाकुंभ? महत्व और इतिहास

इस बार आस्था के महापर्व महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के त्रिवेणी घाट पर किया गया है. इस दौरान बहुत से साधू-संत और महात्माओं के साथ देश भर से आए लोगों आस्था की डुबकी लगा रहें है. आइए जानते हैं अगली बार महाकुंभ का आयोजन कब और कहां किया जाएगा. महाकुंभ का अयोजन हर 12 साल के बाद किया जाता है. यह देश के चार राज्यों प्रयागराज, हरिद्वा, उज्जैन और नासिक में लगता है. मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के समय इस चार स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थी, इसलिए इन स्थानों को बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस साल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया गया है जहां देश भर से आए साधू-संतो के साथ लोगों ने भी पवित्र अमृत स्नान का सुख पाया. ऐसे में आइए जानते हैं कि अगली बार महाकुंभ का कब और कहां किया जाएगा.


कब लगेगा अगला महाकुंभ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगली बार महाकुंभ का अयोजन साल 2196 में प्रयागराज में होगा. वैसे तो महाकुंभ का अयोजन हर 12 वर्षों बाद किया जाता है. वहीं 12 साल का कुंभ मेला 12 बार लगने के बाद 144 वर्षों बाद महाकुंभ लगाता है. ऐसे में 12 वर्षों बाद अगले कुंभ मेंले का अयोजन 2027 में नासिक में लगेगा, जिसके बाद 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का अयोजन किया जाएगा.


महाकुंभ का महत्व
कुंभ मेले का मुख्य उद्देश्य आत्म शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति से जुड़ा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा यह साधू-संतों और गुरुओ और महात्माओं के साथ भक्तों के मिलन का एक बड़ा केंद्र भी है.


महाकुंभ का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुरों और देवताओं ने मिलकर समुद्र मंथन किया, जिसमें से कुल 14 रत्न निकले थे. कहते हैं कि जब भगवान धनवंतरी अमृत कलश लिए प्रकट हुए तब असुरों और देवताओं के बीच लड़ाई हुई. उसके बादत भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर अमृत कलश जयंत को सौप दिया. जयंत जब अमृत कलश को लेकर भाग रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई. तब से महाकुंभ का अयोजन उन स्थानों पर किया जाता है. जहां वह बूंदे गिरी थीं.