कृष्ण-सुदामा की मित्रता पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय

कृष्ण-सुदामा की मित्रता पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय

कृष्ण-सुदामा की मित्रता पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय

गोराकुंड स्थित मदन मोहन मंदिर पर भागवताचार्य पं. अनुराग मुखिया के श्रीमुख से चल रहे पुष्टीमार्गीय सत्संग एवं ज्ञान यज्ञ का समापन

इंदौर सुदामा की भक्ति और मित्रता स्वार्थ की नहीं थी। सुख-दुख और उतार-चढ़ाव जीवन के क्रम है, लेकिन अपने दृढ़ निश्चय से भटके बिना सुदामा ने कृष्ण के प्रति श्रद्धा और विश्वास का रिश्ता बनाए रखा। भक्ति में जब तक श्रद्धा और विश्वास के भाव नहीं होंगे, तब तक हमारी भक्ति सार्थक नहीं हो पाएगी। सुदामा और कृष्ण की मित्रता आज के संदर्भों में भी पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। दुनिया के बड़े देश यदि अपने से छोटे देशों को गले लगाकर उनकी मदद करें तो अनेक समस्याएं बिना युद्ध के भी हल हो सकती हैं। 

       ये दिव्य विचार हैं मदन मोहनलाल मंदिर परिसर गोराकुंड, एम.जी. रोड पर चल रहे पुष्टीमार्गीय सत्संग एवं भागवत रसपान महोत्सव में भागवताचार्य अनुराग मुखिया के, जो उन्होंने शनिवार को कृष्ण-सुदामा मिलन के भावपूर्ण प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में कृष्ण-सुदामा मिलन का उत्सव भी मनाया गया। मित्रता की व्याख्या सुनकर अनेक भक्तों की आंखें छलछला उठी। कथा शुभारंभ के पूर्व श्रीमती आशा विजयवर्गीय, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय, भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, पितृ पर्वत के महेश दलौद्रा, राजेन्द्र लड्ढा, उमेश शर्मा, संजय तोमर, लोकेश नागर, आशीष नीमा, दिलीप सोनी, ईश्वर नीमा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा समापन प्रसंग पर भागवताचार्य अनुराग मुखिया का भक्तों की ओर से संयोजक राजेश जोशी, महेश मित्तल, भगवान नागला, ओमी खंडेलवाल आदि ने सम्मान किया। भागवताचार्य अनुरागजी ने सबके मंगल की कामना की और भारत को पुनः विश्व गुरू का सम्मान मिलने की प्रार्थना की। कथा समापन पर सभी भक्तों ने राष्ट्र के प्रति अखंड निष्ठा और आस्था रखने का संकल्प व्यक्त किया। कथा समापन पर सभी भक्तों ने कतराबद्ध होकर भागवतजी का पूजन भी किया। यज्ञ-हवन के साथ पूर्णाहुति संपन्न हुई। 

       भागवताचार्य अनुरागजी ने कहा कि भागवत केवल ग्रंथ नहीं, भारत भूमि का धर्म भी है। भागवत धर्म ही सनातन धर्म है और सनातन धर्म ही राष्ट्र को जोड़कर रख सकता है। जीवन में कांटे चुभाने वाले बहुत हैं, निकालने वाले कम। आजकल सच्चे मित्र मिलना बहुत मुश्किल हो गया है, इसलिए मित्रता को आज के संदर्भों में नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सनातन धर्म पर पिछले वर्षों में कई बार हमले हुए हैं, लेकिन भारत भूमि का पुण्य प्रताप यही है कि हर हमले से भारत और अधिक मजबूत हुआ है। दुश्मनों को समझ लेना चाहिए कि भारत की तरफ आंख उठाकर देखने वालों और बुरी नजर डालने वालों के लिए बचने की अब कोई गुंजाईश नहीं रह गई है। भारत हर हाल में एकजुट और सुदृढ़ होकर सामने आएगा।