2 साल 8 महीने का इंतजार... और आखिरकार मिला न्याय

उत्तराखंड की अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या करने वाले तीनों गुनहगारों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
= पुलकित आर्य — बीजेपी नेता का बेटा
= आरोप — "स्पेशल सर्विस" देने का दबाव, विरोध पर हत्या
= फैसला — कोटद्वार कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
= न्याय मिला, पर अंकिता की कमी कभी नहीं भर सकती।
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= अंकिता भंडारी मर्डर केस – अंतिम न्याय: उम्रकैद की सज़ा
= घटना का सारांश:
पीड़िता: अंकिता भंडारी (19 वर्ष) — रिसेप्शनिस्ट
स्थान: यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
दिनांक: 18 सितंबर 2022
हत्या कैसे हुई: अंकिता को वेश्यावृत्ति के लिए ग्राहकों को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव डाला गया। मना करने पर झगड़ा हुआ और उसे नहर में धक्का देकर मार दिया गया।
= 2025 का कोर्ट फैसला: 2 साल 8 महीने बाद न्याय
= अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, कोटद्वार का फैसला:
तीनों आरोपी पुलकित आर्य (भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा), सौरभ भरद्वाज (मैनजर), अंकित गुप्ता (स्टाफ) को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई गई।
= आरोप सिद्ध हुए:
- हत्या की साजिश रचना
- सबूत छुपाने की कोशिश
- शव को नहर में फेंकना
⚖️ कोर्ट की टिप्पणी:
"एक मासूम लड़की को न सिर्फ मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उसे उसकी अस्मिता और आत्मसम्मान के लिए मार दिया गया। इस घटना ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।"
= घटना की पृष्ठभूमि:
अंकिता वनंत्रा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी।
पुलकित आर्य उस रिज़ॉर्ट का मालिक था।
उसने अंकिता पर अमीर ग्राहकों को "सर्विस" देने का दबाव बनाया।
अंकिता ने अपने दोस्तों को चैट में बताया था कि वह बहुत परेशान है।
18 सितंबर 2022 की रात उसे जबरन गाड़ी में बैठाकर चिल्ला नहर के पास ले जाया गया।
वहीं झगड़े के बाद उसे धक्का दे दिया गया — शव कई दिन बाद बरामद हुआ।
= समाज की प्रतिक्रिया और जन आक्रोश:
यह केस सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त ट्रेंड करने लगा —
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में गुस्सा था।
भाजपा को भी अपने नेता के बेटे के कारण विरोध का सामना करना पड़ा — पुलकित को पार्टी से निकाला गया।
लोगों ने मांग की थी कि मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।
= क्यों ये केस महत्वपूर्ण है?
अंकिता की हत्या सिर्फ एक लड़की की नहीं थी, बल्कि यह सत्ता, पैसे और पितृसत्ता के गठजोड़ की पोल खोलती है।
कोर्ट के फैसले ने यह दिखाया कि चाहे आरोपी कोई भी हो — न्याय मिलेगा।
यह केस अब महिलाओं की गरिमा और सम्मान के लिए प्रतीक बन गया है।
= निष्कर्ष:
= अंकिता की मौत ने देश को झकझोरा, लेकिन उसका साहस मरने के बाद भी जिंदा रहा।
=उसके खिलाफ खड़े हुए शक्तिशाली लोगों को आखिरकार कानून ने झुकाया।
= न्याय भले देर से मिला, पर मिला। यह हर अंकिता के लिए उम्मीद की लौ है।