मटकी,प्राचीन गरबा, सिद्धि धमाल धनगरी गाजा थाट्या अहीराई लाठी भील भगोरिया की रही प्रस्तुतियां

देशभर के शिल्प को देखने पहुंचे हजारों कला प्रेमी
-14 मई मालवा उत्सव का अंतिम दिवस*
- मटकी,प्राचीन गरबा, सिद्धि धमाल धनगरी गाजा थाट्या अहीराई लाठी भील भगोरिया की रही प्रस्तुतियां
इंदौर। चारों तरफ रोशनी के साथ जगमगाता लालबाग बच्चों की उछल कूद झूलों की तेज आवाजें शिल्प बाजार में खरीदी करते कलाप्रेमी कपड़े साड़ी आर्टिफिशियल ज्वेलरी ,क्राकरी की कलात्मक वस्तुएं, आयुर्वेदिक औषधियां, लेदर के कलात्मक पर्स, बैग ,कलात्मक बंदनवार, दही जमाने के मिट्टी के बर्तन, वुडन फर्नीचर ,कालीन से लेकर चंदेरी ,काथा वर्क ,महेश्वरी साड़ियां ,ड्रेस मटेरियल, गोबर से बने आइटम सहित सैकड़ों शिल्प कारों की मेहनत एवं शिल्प इस मालवा उत्सव में अपनी छटा बिखेरते नजर आ रहे हैं लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि 14 मई को मालवा उत्सव का अंतिम दिवस है। हजारों की संख्या में कलाप्रेमी दर्शक नजर आए।
*अहीराई लाठी का सुंदर प्रस्तुतीकरण*
लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लवंगड़े ने बताया कि यादव जनजाति का यह मार्शल आर्ट का फॉर्म है जिसमें म्यूजिकल लाठी से लड़ाई का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया गया यह नृत्य दिवाली के 10 दिन बाद गाय की पूजा करते समय दिवाली पर किया जाता है सर पर मोर पंख पीला कुर्ता और धोती और कमर पर बड़े-बड़े घुंघरू बांधकर मंडल व टीम की का प्रयोग करके संगीत में नृत्य प्रस्तुत किया गया।
*सिद्धि धमाल ने मचाया धमाल*
केन्या अफ्रीका से 750 वर्ष पूर्व आकर गुजरात में बसे आदिवासी समूह ने सिद्धि धमाल नृत्य किया जिसमें चेहरे पर विभिन्न प्रकार के रंगों से अलग-अलग आकृतियां बनाकर एवं ढोलक व कांगो की थाप पर विभिन्न भाव भंगिमाए बनाकर नृत्य किया यह एक अद्भुत अनुभव था। उन्होंने नारियल उछाल कर सिर से फोड़ने की कला का प्रदर्शन भी किया।
*मिश्र रास, थाट्या धनगरी गाजा मटकी गरबा नृत्यो से सजा मंच*
मिस्र रास गुजरात का प्रसिद्ध डांडिया रास जो कृष्ण और गोपियों की भावना को दर्शा रहा था ने खूब तालियां बटोरी स्वाति ओखला एवं साथियों द्वारा मालवा का प्रसिद्ध मटकी प्रस्तुत किया जिसमें सुंदर परिधान में लड़कियों ने मटक मटक कर नृत्य किया। साफा नीली जैकेट पहने पांव में घुंघरू बांध कर महाराष्ट्र के लोक कलाकारों ने भगवान शंकर की आराधना करते हुए सुंदर नृत्य धनगरी गाजा प्रस्तुत किया गया। वहीं बैतूल से आए गोंड जनजाति का थाट्या नृत्य भी सुंदरबन पड़ा था। वहीं स्थानीय कलाकारों में स्वर्गीय सविता ताई गोडबोले कि शिष्यो द्वारा शिव स्तुति कथक की प्रमुख रचना तीन ताल में प्रस्तुत की वही कविता पारुलकर और उनके शिष्यों द्वारा महाराष्ट्र की झांकी पुणेरीबाणा कथक के माध्यम से प्रस्तुत की । कीर्ति साठे शिष्यों द्वारा ऋतु वर्णन प्रस्तुत किया गया इस अवसर पर लोक संस्कृति मंच के कंचन गिद्वानी, पवन शर्मा, सतीश शर्मा, मुद्रा शास्त्री, रितेश पाटनी, संकल्प वर्मा, रितेश पिपलिया, निवेश शर्मा ,राजेश बिहानी, मुकेश पांडे, विकास केतले आदि मौजूद थे।
14 मई के कार्यक्रम लोक संस्कृति मंच के विशाल गिद्वानी ने बताया कि शिल्प मेला दोपहर 4:00 बजे से प्रारंभ होगा वही सांस्कृतिक संध्या 7:30 बजे प्रारंभ होगी जिसमें पनिहारी गरबा रास सिद्धि धमाल अहीर लाठी आदि नृत्य होंगे एवं स्थानीय कलाकारों की भी प्रस्तुति होगी कल मालवा उत्सव संस्कृतिक मेले का अंतिम दिवस है