पंच परिवर्तन से होगी धर्म स्थापना : विनीत नवाथे

पंच परिवर्तन से होगी धर्म स्थापना : विनीत नवाथे
पेटलावद । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग ( व्यवसायी ) का समापन प्रकट कार्यक्रम के साथ पेटलावद में संपन्न हुआ । इस कार्यक्रम में 227 शिक्षार्थियों ने सहभाग लिया। शारीरिक कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने समता, योग, घोष और दंड (लाठी) संचालन प्रयोगों का प्रदर्शन किया। जिसे देखने के लिए जिले भर से हजारों की संख्या में समाजजन शामिल हुए।
प्रकटोत्सव स्थल पर प्रशिक्षण प्राप्त कुशलताओंका प्रदर्शन करते हुए स्वयंसेवक आम लोगो के चेहरों पर आत्मविश्वास की अनुभूति करवा रहे रहे थे। पूरे परिसर में भगवान बिरसा मुंडा, गौ शाला, भगवान श्री कृष्ण व वेस्ट से बेस्ट से बने साधन झांकियों के रूप में दर्शन के लिए लगे थे।
सर्वाधिकारी सुरजीतसिंह जुनेजा, जिला संघचालक मानसिंह भूरिया, श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर स्वामी जितेंद्रानंद महाराज, नरसिंहानंद सेवा आश्रम रायपुरिया, तह. पेटलावद, जिला झाबुआ मुख्य वक्ता विनीत नवाथे मालवा प्रान्त कार्यवाह मंचासीन उपस्थित रहे।
अपने बौद्धिक में विनीथ नवाथे ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार ने हिंदू गौरव की स्थापना कर राष्ट्र के नव निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. संघ पर तीन-तीन बार प्रतिबंध लगे परंतु संघ प्रत्येक बार नहीं शक्ति से आगे बढ़ा. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, समाज व राष्ट्र जीवन की प्रत्यक्ष क्षेत्र में धर्मयुक्त संरचनाओं का निर्माण किया.
धर्मांतरण करने वाली इसी मिशनरियां, जिहादी ताकते और हिंदू समाज को तोड़ने वाले वामपंथी इस देश के शत्रु हैं. इनके को कृतियों को हमें निस्तेज करना है.
हमारे वेद हमें प्रकृति की पूजा करना सिखाते हैं आज जनजाति समाज वेदों में कही गई हमारी परंपराओं को अक्षुण बनाए हुए हैं. शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पांच बातों को विशेष फोकस कर रहा है. समरसता,कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, स्वदेशी जीवन शैली और नागरिक अनुशासन. इन पांच परिवर्तनों से ही राष्ट्र में धर्म व्यवस्था स्थापित होगी।
वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः मूल धेय्य वाक्य-
वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः, धर्मो रक्षति रक्षितः, इदं न मम इदं राष्ट्रं जैसे अति व्यापक अर्थों वाले पाठ व्यक्ति के मानस में सहज स्थापित हो इसी लक्ष्य के साथ संघ का यह वर्ग व्यक्ति में केवल भाव परिवर्तन या भाव विकास में सहयोगी बनाते हैं, और संभवतः यही व्यक्तित्व विकास का सर्वाधिक सफल मार्ग भी है जो इस वर्ग में सम्पन्न हुआ।
ग्रीष्म की छूट्टियों में जब कि सामान्यतः लोग किसी पहाड़, पठार या ठंडे स्थान पर जाकर आराम करना पसंद करते हैं, तब प्रांत का एक बड़ा वर्ग अपनी स्वरुचि से संघ के अभ्यास वर्ग में आकर कड़ा श्रम किया और अपना पसीना बहाया। किसी गुरुकूल के विद्यार्थी की भांति, यहां व्यक्ति, व्यक्तित्व विकास व राष्ट्र चिंतन हेतु कष्टप्रद परिस्थितियों में रहकर प्रशिक्षण की दक्षताओं को प्राप्त किया।
संघ शिक्षा वर्ग – कुल चार प्रकार के संघ शिक्षा वर्ग होते हैं। “प्राथमिक वर्ग” एक सप्ताह का होता है, “संघ शिक्षा वर्ग ” और “कार्यकर्ता विकास वर्ग-1” 20-20 दिन कार्यकर्ता विकास वर्ग 2” 25 दिनों का होता है। “प्राथमिक वर्ग” का आयोजन सामान्यतः जिला करता है, “संघ शिक्षा वर्ग” का आयोजन सामान्यत: प्रान्त करता है, “कार्यकर्ता विकास वर्ग -१” का आयोजन सामान्यत: क्षेत्र करता है। “कार्यकर्ता विकास वर्ग-२” अनिवार्यतः प्रत्येक वर्ष नागपुर में ही होता है।