इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी राहुल गांधी को तगड़ी सीख, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब सेना को बदनाम करना नहीं

4 जून 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय सेना के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन यह स्वतंत्रता "उचित प्रतिबंधों" के अधीन है और इसमें भारतीय सेना को बदनाम करने वाले बयान देने की अनुमति नहीं है।
???? मामला क्या है?
राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को राजस्थान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि "चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं", और भारतीय मीडिया इस पर सवाल नहीं उठा रहा है। इस बयान को लेकर सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एक अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई। श्रीवास्तव का कहना था कि यह टिप्पणी भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली है।
⚖️ कोर्ट की टिप्पणी
राहुल गांधी ने लखनऊ कोर्ट द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किसी व्यक्ति या भारतीय सेना को बदनाम करने वाले बयान देने की अनुमति नहीं देता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देना संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का दुरुपयोग है।
???? आगे की कार्यवाही
राहुल गांधी को 23 जून 2025 को लखनऊ की अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। यदि वे उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा सकता है।