इंदौर में श्री धाम सरकार का लगा दरबार... भजन कीर्तन की प्रस्तुतियों से मुग्ध श्रद्धालु

इंदौर में श्री धाम सरकार का लगा दरबार... भजन कीर्तन की प्रस्तुतियों से मुग्ध श्रद्धालु
जब भी निराशा का भाव उत्पन्न हो प्रभु भक्ति करें, सकारात्मक भाव रखे - श्रीधाम सरकार
इंदौर। जीवन में जब भी निराशा, मन की चंचलता और विषयों की आशक्ति हो तब ईश्वर के भजन करें, प्रभु के चरणों की सेवा करें और मन को एकाग्रचित कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़े, इससे जीवन न सिर्फ आनंद से परिपूर्ण होगा बल्कि उन्नत और प्रगतिशील भी बनेगा।
श्रीधाम सरकार ने पूर्वी क्षेत्र में श्रद्धालु के बीच रखें। स्वामी विवेकानंद नगर बंगाली चौराहे के समीप श्रीधाम सरकार का श्रीमती रचना विकास गुप्ता के यह आगमन हुआ, बाबा के इंदौर पहुंचने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में अनुयाई यहां पहुंचे और भजन कीर्तन में लीन हो गए । श्रद्धालूओ ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी वही सैकड़ों लोगों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे, उमा शशि शर्मा अशोक धर्माधिकारी, पप्पू मंत्री मुद्रा शास्त्री सतीश जोशी दिनेश गुप्ता कमलेश्वर सिंहसिसोदिया, देवेंद्र ईनाणी आदि ने भी सहभागिता की। अपनी मधुर मुस्कान में श्रीधाम सरकार ने अनेक संस्करण भी सुनाएं-
यह रहा खास....अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम्।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा॥
भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में बताते हैं कि सच्चा ज्ञान क्या है और अज्ञान क्या है।
अध्यात्म ज्ञान में नित्य स्थिति – हमेशा आत्मा और परमात्मा के सच्चे स्वरूप को जानने और समझने में लगे रहना ही वास्तविक ज्ञान है। यह ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि हम शरीर नहीं, बल्कि अमर आत्मा हैं।
परम तत्व को देखना – सच्चे ज्ञान का उद्देश्य परमात्मा को पहचानना और उनकी सत्ता को अनुभव करना है। इसका मतलब यह है कि हमारा जीवन सिर्फ सांसारिक कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि परमात्मा की प्राप्ति ही इसका अंतिम लक्ष्य है।
जो इसके विपरीत है, वह अज्ञान – जो लोग आत्मा और परमात्मा के सच्चे ज्ञान से दूर रहते हैं, और जो केवल भौतिक सुख, अहंकार, लोभ, और सांसारिक विषयों में फंसे रहते हैं, वे अज्ञान की स्थिति में हैं।
महत्वपूर्ण इस अध्याय के श्लोक 7 से लेकर यहाँ तक जो साधन कहे गए हैं, वे सब तत्वज्ञान की प्राप्ति में सहायक होने के कारण ‘ज्ञान’ कहलाते हैं। यह सब आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर चलने के लिए आवश्यक हैं।
हमारे जीवन के लिए सीख: हमेशा आत्मा और परमात्मा के ज्ञान में आगे बढ़ने का प्रयास करें।केवल भौतिक चीज़ों को ही सबकुछ मानना अज्ञान है, हमें यह समझना चाहिए कि आत्मा और परमात्मा ही वास्तविक सत्य हैं।जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य परम सत्य को जानना और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना है।
जो व्यक्ति आत्मा के सच्चे ज्ञान में स्थित रहता है और परमात्मा को ही जीवन का लक्ष्य मानता है,वही वास्तव में ज्ञानी होता है।