चार राज्यों में अक्टूबर 2026 से जातीय जनगणना

चार राज्यों में अक्टूबर 2026 से जातीय जनगणना

???? चार राज्यों में अक्टूबर 2026 से होगी जातीय जनगणना: बड़ा सामाजिक व राजनीतिक कदम

???? 4 जून 2025 | विशेष संवाददाता

नई दिल्ली – केंद्र सरकार की अनुमति के बाद अब बिहार, झारखंड, तमिलनाडु और ओडिशा की सरकारें अक्टूबर 2026 से जातीय जनगणना (Caste Census) की शुरुआत करेंगी। यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह लंबे समय से चली आ रही मांगों का जवाब भी है और आगामी चुनावों से पहले की रणनीति भी।

???? क्या है जातीय जनगणना?
जातीय जनगणना का अर्थ है — जनसंख्या की गणना जाति के आधार पर करना। इससे यह पता चलेगा कि देश या राज्य की कुल आबादी में किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है। इसका सीधा असर आरक्षण नीति, सामाजिक योजनाओं और संसाधनों के वितरण पर पड़ सकता है।

???? किन राज्यों में होगी शुरुआत?
बिहार – जहां पहले ही राज्य सरकार ने 2023 में जातीय सर्वे करवा लिया था, अब केंद्रीय अनुमोदन से उसे और विस्तार मिलेगा।

झारखंड – हेमंत सोरेन सरकार लंबे समय से OBC की हिस्सेदारी को लेकर मुखर रही है।

तमिलनाडु – द्रविड़ आंदोलन की विरासत को ध्यान में रखते हुए DMK सरकार इसे सामाजिक न्याय के लिए ज़रूरी कदम मानती है।

ओडिशा – नवीन पटनायक सरकार ने भी हाल में सामाजिक प्रतिनिधित्व को लेकर समर्थन जताया था।

????️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
नीतीश कुमार (CM, बिहार): "यह सामाजिक न्याय की जीत है। हर वर्ग को उसकी सही पहचान और हक मिलना ज़रूरी है।"

कांग्रेस प्रवक्ता: "यह जनगणना नहीं, सामाजिक क्रांति की शुरुआत है।"

BJP: "हम विकास के पक्षधर हैं, जातीय आंकड़ों का दुरुपयोग न हो इस पर नज़र रहेगी।"

???? इसका असर क्या होगा?
OBC आरक्षण की नई संरचना

पॉलिसी फॉर्मुलेशन में डेटा आधारित फैसले

राजनीतिक दलों की नई रणनीति — 'जाति आधारित वोट बैंक' की ओर झुकाव

❓ विवाद और चुनौतियाँ
क्या इससे समाज में जातीय तनाव बढ़ेगा?

क्या यह कदम जातिगत राजनीति को और मज़बूत करेगा या समाज को बराबरी देगा?

???? जनगणना की प्रक्रिया अक्टूबर 2026 से शुरू होकर मार्च 2027 तक पूरी होने की संभावना है। फाइनल रिपोर्ट 2027 के अंत तक आने की उम्मीद है।

???? आपका क्या मानना है? क्या जातीय जनगणना से सामाजिक न्याय मजबूत होगा या राजनीति और विभाजित होगी? अपनी राय कमेंट में दें।