ढोल कुनिता, गरबा मनियारो रास, बरेदी ,गणगौर ,गुडूम बाजा ने जमाया रंग* *भीड़ भरा माहौल नजर आया आज मालवा उत्सव में*

ढोल कुनिता, गरबा मनियारो रास, बरेदी ,गणगौर ,गुडूम बाजा ने जमाया रंग* *भीड़ भरा माहौल नजर आया आज मालवा उत्सव में*


इंदौर । मां से झूले में झूलने के लिए जिद करते हुए बच्चे, शिल्प को देखकर आश्चर्यचकित हो जाने वाली नवयुतियां और तालियां बजाते लोक नृत्य करते कलाकारों का उत्साह बढ़ाते कला प्रेमी दर्शक यह भीड़ भरा माहौल आज लालबाग परिसर में नजर आया।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि मालवा उत्सव के चतुर्थ दिवस कर्नाटक से आए लोक कलाकारो ने भगवान विरलेश्वर की आराधना में किया जाने वाला ढोल कुनिता नृत्य जिसमें लगभग 12 से अधिक कलाकारों द्वारा बड़े-बड़े ढोल बजाकर घूम घूम कर उछल-उछलकर पिरामिड बनाकर शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आया दल आज खास बन गया जिसमें उन्होंने महिषासुर मर्दिनी का प्रस्तुतीकरण किया जिसमें उनके द्वारा पहने गए झालर वाली चमकदार ड्रेस पर मुखोटे और चपलता से किया गया नृत्य आकर्षण का केंद्र बना। गुजरात का प्रसिद्ध मनियारो रास को प्रस्तुत करने नवसारी से 12 लोगों की टीम आई थी जिसमें उन्होंने सफेद ड्रेस पर रेड दुपट्टा पहना हुआ था। वहीं पंजाब का भांगड़ा और यादव समाज द्वारा किया जाने वाला श्री कृष्णा की आराधना के लिए बरेदी नृत्य सागर से आई टीम ने प्रस्तुत किया। गुजरात के ही पनघट कला केंद्र द्वारा प्रस्तुत बेड़ा गरबा जो की एक पारंपरिक गरबा है जिसमें प्रियतम को देखकर शर्माती महिलाएं अपने दिल की बात सखियों को बताती है प्रस्तुत किया गया। निमाड़ का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर भी प्रस्तुत हुआ। "नव नव नौरते दिलों कीदो माथे मानो गरबो लीदो" के बोल पर मेहसाणा गुजरात का प्रसिद्ध गरबा नृत्य जो दिवाली के अवसर पर किया जाता है किया। विभिन्न पिरामिड बनाकर कौड़ियों वाली ड्रेस पहनकर गुडूम बजाते हुए डिंडोरी जिले के आदिवासी कलाकारों ने गुडूम बाजा नृत्य आदिवासी अंचल की बानगी  प्रस्तुत कर गया। हरियाणा से आए कलाकारों ने फाग भी प्रस्तुत किया। स्थानीय कलाकारों में रागिनी मक्खर जी ने देवी आराधना ,आशा अग्रवाल एवं साथियों ने ने कृष्ण रास बिपाशा लाड़ एवं मयंक शर्मा ने भी अपनी प्रस्तुति दी। 

*कला शिविर में ख्यात कलाकारों के चित्र देखने आए कला प्रेमी*

मनीष बासानी ,नरेश फुंदवानी एवं मुकेश पांडे ने बताया कि मालवा उत्सव में इस वर्ष एक अनूठा प्रयोग किया गया जिसमें प्रसिद्ध चित्रकार एवं चित्रकारी मे रुचि रखने वाले नए लोगों की लिए चित्रकार नारायण पाटीदार के सहयोग से ईसका आयोजन किया गया जिसमें चित्रकारों ने अपने मां की भावनाओं के साथ मालवा उत्सव की संवेदनाओं को एवं कला को उकेरा 9 में से शुरू हुए इस शिविर में प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने चित्र यहीं पर बनाए जिसे आज प्रदर्शित किया गया जिसे देखने काफी संख्या में कला प्रेमी जुटे कलाकारों में शुभा वैद्य, विनीत शर्मा ,भूपेंद्र उपारिया, नारायण पाटीदार, अवधेश यादव, सुंदर गुर्जर, जयप्रकाश चौहान, धीरेंद्र माडगे, मोना शर्मा ,आलोक शर्मा, मधु शर्मा ने चित्र बनाएं। 
*मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पहुंचे मालवा उत्सव मे*

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव
 आज लोक कलाकारों एवं शिल्पकारों का उत्साह वर्धन करने मालवा उत्सव पहुंचे इस अवसर पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव मंत्री तुलसी सिलावट जी विधायक मालिनी गौड़ गोलू शुक्ला महिंद्रा हार्डिया आदि मौजूद थे अतिथियों का स्वागत दीपक लवांगडे सतीश शर्मा पवन शर्मा विशाल गिद्वानी रितेश पाटनी निवेश शर्मा नितिन तापड़िया कंचन गिद्वानी मुद्रा शास्त्री आदि ने किया

12 मई के कार्यक्रम निवेश शर्मा एवं गगन खुबानी ने बताया कि 12 मई को गोंड जनजाति थाट्या,गेडी, वीर नाट्यम, गरबा, सिद्धि धमाल ओडीसी भांगड़ा आदि नृत्य कार्यक्रम होंगे शिल्प मेला 4:00 बजे से शुरू होगा।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कला संस्कृति को लेकर मालवा की संस्कृति को पुरातन काल की संस्कृति से जोड़ते हुए भगवान कृष्ण को भी यही आए थे उन्होंने कहा कि मालवी भाषा कूटनीतिक एवं राजनीतिक दोनों तरह की है उन्होंने कहा ब्रह्मोस मिसाइल का ka Kahar पाकिस्तान ने देखा है यह आधुनिक टेक्नोलॉजी की एक मिसाल है हमें कोई चढ़ेगा तो हम उसे नहीं छोड़ेंगे उन्होंने हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय के नारे भी लोगों से लगवाई हम मानव को परमात्मा ने वे सभी गुण दिए हैं जो हमारी संस्कृति को हमारे कलाकारों को आगे ले जाने के लिए चाहिए उन्होंने मालवा उत्सव की प्रशंसा करते हुए शंकर लालवानी की पीठ थपथपाई 25 वर्षों तक इस तरह के आयोजन को संभालना और उसे आगे ले जाना बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है