आज वृंदावन के फूलों से सुसज्जित रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र दर्शन देने निकलेंगे शहर के भक्तों को

आज वृंदावन के फूलों से सुसज्जित रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र दर्शन देने निकलेंगे शहर के भक्तों को

इंदौर ।  अंतर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) की मेजबानी में रविवार, 29 जून को दोपहर 1 बजे पश्चिम क्षेत्र स्थित प्रख्यात अन्नपूर्णा मंदिर से निकलने वाली परंपरागत जगन्नाथ रथयात्रा की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र एवं भगवान जगन्नाथ इस यात्रा में वृंदावन से बुलवाए गए रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों एवं विशेष पोषाक में सुसज्जित रथ पर सवार होकर शहर के भक्तों को दर्शन देंगे। रथयात्रा के साथ बैंडबाजे, राधा-गोविंद की झांकियां, अश्वारोही दुर्गा वाहिनी की मातृशक्तियां, इस्कॉन से जुड़े देश-विदेश से आए संत, संकीर्तन मंडिलयां और प्रसाद वितरण के लिए विशेष वाहन सहित अनेक आकर्षण शामिल रहेंगे। समूचे मार्ग में 50 से अधिक स्वागत मंचों से भक्तों का स्वागत होगा। स्वर्ण निर्मित झाडुओं से यात्रा मार्ग की सफाई का सिलसिला भी पूरे समय चलेगा। हजारों श्रद्धालु रस्से की मदद से रथ को खींचते हुए गोपाल मंदिर तक ले जाएंगे। यात्रा में 51 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा हाईड्रोलिक रथ इस बार आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहेगा। अन्य झांकियां भी साथ चलेंगी।

             इस्कॉन इंदौर के अध्यक्ष स्वामी महामनदास प्रभु, यात्रा प्रभारी हरि अग्रवाल, संयोजक किशोर गोयल एवं व्यवस्था प्रभारी भावेश दवे ने बताया कि रथयात्रा का शुभारंभ अन्नपूर्णा आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के सानिध्य में अखंडधाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज एवं पवनदास महाराज, पंचकुइया राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास महाराज, सदगुरू अण्णा महाराज, महामंडलेश्वर दादू  महाराज, अन्नपूर्णा आश्रम के संचालक जयेन्द्रानंद गिरि के साथ राज्य के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी के आतिथ्य में वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल एवं प्रेमचंद गोयल, टीकमचंद गर्ग, पवन सिघानिया, विष्णु बिंदल भी अतिथि के रूप में शामिल होंगे। अन्नपूर्णा मंदिर से प्रारंभ होकर रथयात्रा नरेन्द्र तिवारी मार्ग, रणजीत हनुमान मंदिर, महूनाका, छत्रीपुरा, बियाबानी, मालगंज चौराहा से मल्हारगंज, टोरी कार्नर, गोराकुंड, खजूरी बाजार, राजबाड़ा होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी, जहां भगवान जगन्नाथ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नाट्य प्रस्तुतियां होंगी। देश-विदेश से आए इस्कॉन के संत एवं साध्वी हरे रामा-हरे कृष्णा संकीर्तन करते हुए चलेंगे। यात्रा में देवी-देवताओं के श्रृंगार में आने वाले नन्हें-मुन्ने बच्चे भी भक्तों का अभिवादन करेंगे।
         *विभिन्न समाजों द्वारा होगा स्वागत*- रथयात्रा का स्वागत अन्नपूर्णा वरिष्ठ नागरिक मंच, अग्रवाल समाज, अन्नपूर्णा महासंघ, मूक बधिर संगठन, जैन समाज, खंडेलवाल समाज, श्रद्धा सुमन सेवा समिति, विजय नगर अग्रवाल महासंघ, फतेहपुरिया समाज, साहू समाज, संस्था संघ मित्र, अ.भा. अग्रवाल महासभा, राठौर समाज, यादव समाज, कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, रामा ग्रुप, सांवरिया ग्रुप, अग्रवाल समाज फाउंडेशन, छत्रपति धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट, अशोक जायसवाल मित्र मंडल, गौरव अग्रवाल मित्र मंडल, विश्व हिन्दू परिषद एवं अहिल्या ओजस्वी संस्था, लोक विख्यात आचार्य सुधांशु महाराज द्वारा संचालित विश्व जागृति मिशन मंडल इंदौर सहित करीब 50 संगठनों की ओर से यात्रा मार्ग में स्वागत की जबर्दस्त तैयारियां की गई हैं।

       *आज भी निकली मनुहार यात्रा*-  इस्कॉन इंदौर के अध्यक्ष स्वामी महामनदास प्रभु एवं संयोजक शैलेन्द्र मित्तल ने बताया कि  शनिवार शाम को भी अन्नपूर्णा मंदिर से जगन्नाथ रथयात्रा के मार्ग पर दूसरी बार मनुहार यात्रा निकाली गई, जिसका शुभारंभ रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास एवं अन्नपूर्णा आश्रम के संचालक स्वामी जयेन्द्रानंद गिरि एवं इस्कॉन से जुड़े संतों लक्ष्मणदास प्रभु, गिरधर गोपाल प्रभु, अद्विधरणदास प्रभु, अच्युत गोपालदास प्रभु, मृदुल कृष्ण प्रभु के साथ आयोजन समिति के सदस्यों ने किया। यात्रा में भावेश दवे, महेन्द्र विजयवर्गीय, मुरली धामानी, राजेन्द्र सोनी सहित बड़ी संख्या में अन्नपूर्णा के आसपास की कालोनियों की मातृशक्ति भी रिमझिम फुहारों के बीच शामिल हुई। मनुहार यात्रा के दौरान मिनी रथ को अपने हाथों से खींचकर चलते हुए भक्तों ने यात्रा मार्ग पर आने वाले सभी व्यापारियों एवं दुकानदारों को रविवार को निकलने वाली रथयात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया।  यात्रा में हरे रामा-हरे कृष्णा संकीर्तन करते हुए वेदपाठी बटुक एवं इस्कॉन के संत भी शामिल थे।